देर से आई ट्रेन और पैसेंजर की छूटी फ्लाइट, सुप्रीम कोर्ट ने भी रेलवे से कहा- मुआवजा तो देना पड़ेगा
नई दिल्ली : सरकारों और सरकारी तंत्रों की ऐसी-ऐसी हरकतें सामने आती रहती हैं, जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या हम 21वीं सदी के लोकतांत्रिक भारत में जी रहे हैं या फिर हमें आजादी का मुगालता भर है। सरकार का एक ऐसा ही विभाग है रेलवे। एक-एक इंसान की जिंदगी से जुड़ा यह विभाग अपने कारनामों के लिए इतना बदनाम है कि शायद ही कोई व्यक्ति अपने जीवन में कभी-न-कभी इसे कोसा नहीं हो। ट्रेनों की लेट-लतीफी के कारण कई लोगों को तरह-तरह का नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया कि वो मुआवजा देकर यात्री के नुकसान की भारपाई करे।
दरअसल, दो यात्रियों ने दिल्ली आने के लिए प्रयागराज एक्सप्रेस के टिकट लिया। ट्रेन लेट होने के कारण दोनों यात्री करीब पांच घंटे की देरी से दिल्ली पहुंचे। इस वजह से उनकी कोच्ची की फ्लाइट छूट गई। पैसेंजर ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और फोरम ने रेलवे पर जुर्माना लगा दिया। फिर रेलवे ने चोरी भी, सीनाजोरी भी के रास्ते पर चलते हुए मामले को सुप्रीम कोर्ट तक खींच लिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी यात्रियों के पक्ष में फैसला देकर रेलवे की लताड़ लगाई।
अंग्रेजी खबरों की वेबसाइट न्यूज18.कॉम के मुताबिक, बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति रवींद्र भट की बेंच ने केंद्र सरकार की याचिका पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेश पर रोक नहीं लगाई। न्यायालय ने रेल मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे (Indian Railway) लंबे समय तक चलने वाली देरी का अनुमान लगा सकता है और यात्रियों को इसकी सूचना दे सकता है।
शीर्ष अदालत ने जिला उपभोक्ता फोरम के 40 हजार रुपये के मुआवजे के आदेश को बरकरार रखने के एनसीडीआरसी के आदेश पर अपनी सहमति देते हुए रेलवे की ओर से सेवा में लापरवाही और कमी मानी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याची (केंद्र सरकार) चार सप्ताह की अवधि के भीतर कोर्ट रजिस्ट्री में 25,000 रुपये की राशि जमा करा दे। यह राशि ऑटो-रीन्यूअल सुविधा के साथ अल्पावधि के लिए किसी सरकारी बैंक एफडी खाते में जमा की जाएगी।