पुरुषोत्तम जी को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम इनके बताए कर्म-मार्ग पर चलें: सुरेश नीरव

दूरदर्शन के पूर्व निदेशक पुरुषोत्तम नारायण सिंह को साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। पटना दूरदर्शन के पूर्व निर्देशक , प्रख्यात साहित्यकार, कुशल संगीतज्ञ और समीक्षक पुरुषोत्तम नारायण सिंह का विगत 14 मई को एम्स झज्जर में कोरोना के कारण निधन हो गया। दुर्भाग्यवश दो दिन पूर्व उनके इकलौते पैंतीस वर्षीय पुत्र का भी कोरोना से निधन हो गया था। आज उनकी स्मृति में देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के तत्वावधान में ऑन लाइन स्मृति सभा का आयोजन किया गया। स्मृति सभा में स्वर्गीय पुरुषोत्तम नारायण सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्मृति सभा का आरंभ कोलकाता के साहित्यकार सुरेश चौधरी ने ऋग्वेद की ऋचा पढ़ कर किया और कहा सनातन दर्शन में मृत्यु को उत्सव माना गया है। संस्था के संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार सुरेश नीरव ने पुरुषोत्तम नारायण से अपने 35 वर्षों से जुड़े रिश्तों का उल्लेख किया और उनके मानवीय पक्ष को रेखांकित करते हुए कहा कि पुरुषोत्तम जी को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम इनके बताए कर्म-मार्ग को अपनाएं। प्रख्यात साहित्यकार और बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने उनके साहित्यिक सफर का भावपूर्ण ब्यौरा दिया वहीं उनके घनिष्ट मित्र प्रख्यात पत्रकार ओंकारेश्वर पांडे ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। सुलभ साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ज्योति ने दिवंगत साहित्यकार के संबंध में उनके समर्पण भाव का जिक्र किया। मुम्बई से जुड़े प्रसिद्ध संगीतकार एवं गायक सुधाकर स्नेह ने पुरुषोत्तम जी के संगीत पक्ष की विस्तार से चर्चा की। दूरदर्शन के एंकर मानवर्धन कंठ ने अपने 20 वर्षों के संबंध को चित्रित किया। रूस से जुड़ी श्वेता सिंह उमा ने अपने संक्षिप्त व्यक्तव्य में उन्हें याद किया। वहीं दिल्ली की प्रतिष्ठित कवयित्री दमयंती शर्मा ने उनके विविध गुणों की विस्तार से चर्चा की।

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