भाजपा नास्तिक, महाकाल लोक में हुआ भ्रष्टाचार इसका सबसे बड़ा उदाहरण: देवेन्द्र शर्मा

 

 

ग्वालियर।  उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में बने महाकाल लोक में सप्त ऋषि की मूर्तियां खंडित होने की घटना पर कांग्रेस ने कहा है कि महाकल मंदिर के पास हुआ हादसा भाजपा के नास्तिकपन के साथ ही महाकाल लोक में हुये भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराई जानी चाहिये। शहर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र शर्मा, विधायक ग्वालियर पूर्व डॉ सतीश सिंह सिकरवार ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से चर्चा में कहा कि अक्टूबर 2022 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का उदघाटन किया था उस समय भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को श्रेय देने से इंकार कर दिया था। लेकिन अब जब भगवान सप्त ऋषि की मूर्तियां गिर पडी तोउनके एक मंत्री कह रहे हैं कि यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस योजना के लिए 300 करोड की राशि तय की थी लेकिन शिवराज सरकार ने उसे 1200 करोड कर कितना भ्रष्टाचार किया होगा।

उन्होंने कहा कि अब सरकार खंडित मूर्तियों को ठीक करवाकर स्थापित करना चाह रही है । यह सरकार की नास्तिक नीति को दर्शाता है। शहर जिला कांग्रेस और विधायक सिकरवार ने आरोप लगाते हुये कहा कि भाजपा शासन में बने सात पुल भी तिनके की भांति जरा से पानी में बह गये थे। वहीं मात्र तीस किलोमीटर की गति से चली हवा में सप्तऋषि की मूर्तियां गिर गई । अब सरकार कह रही कि इसका तीन साल का मरम्मत का टेंडर है। ठेकेदार उसे ठीक करेगा। विधायक सिकरवार ने कहा कि राज्य सरकार ने इससे पहले नौनिहालों के निबाले का घोटाला किया बच्चियों को सायकल देने के मामले में घोटाला किया अब भगवान के नाम पर जनता को धोखा दे रही है। क्योंकि महाकाल लोक की मूर्तियां कागज की नाव की तरह ढह गई ।

इस मौके पर प्रदेश प्रवक्ता राम पांडे ने कहा कि कांग्रेस के प्रतिनिधि द्वारा उज्जैन के दौरे के समय एक छत्र भी महाकाल के पास का गिर पडा था जिसमें एक मीडिया कर्मी बाल बाल बचा था। उन्हांेने कहा कि महाकाल लोक में घटिया स्तर का निर्माण कार्य हुआ है। भाजपा सरकार एक तरफ चीन के सामान को इस्तेमाल नहीं करने के लिये अभियान चलाती है वहीं दूसरी ओर चीन के सामान से ही महाकाल लोक में निर्माण कराया गया है। उन्हांेने कहा कि जो मूर्ति गिरी उनकी कीमत लगभग पचास हजार से एक लाख रूपये है जबकि सरकार ने इसके लिये लगभग दस लाख रूपये खर्च किये हैं। पत्रकार वार्ता में ग्रामीण जिलाध्यक्ष प्रभुराम जोहरे, प्रदेश प्रवक्ता अनुराधा सिंह और संभागीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा भी मौजूद थे।