ग्वालियर के कारपेट, मुरैना की गजक और रीवा का सुंदरजा आम को मिला GI टैग

भोपाल/ग्वालियर)। मध्यप्रदेश के हस्त शिल्प उत्पादों ने नया इतिहास रचा है। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के इंडस्ट्री प्रमोशन एडं इंटरनल ट्रेड ने मध्यप्रदेश के छह उत्पादों को जीआई टैग दिया है। इनमें डिंडौरी की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर का कार्पेट, उज्जैन की बाटिक प्रिंट, जबलपुर भेड़ाघाट का स्टोन क्राफ्ट, बालाघाट की वारासिओनी की साड़ी और रीवा का सुंदरजा आम शामिल है। यह पहला अवसर है कि जब एक साथ मध्यप्रदेश के इतने उत्पादों को जीआई टैग मिला है। साथ ही प्रदेश में जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि मैं मुरैना और रीवा की जनता को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। चंबल की गजक और रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल चुका है। चंबल और विंध्य विकास कर रहे हैं। मुरैना की गजक का स्वाद अब दुनिया में जा रहा है और सुंदरजा की मिठास अद्भुत है। अब इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। मध्यप्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की प्रबंध संचालक और संत रविदास हस्तशिल्प विकास निगम की सीईओ अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग) एक प्रकार का लेवल है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय तय करता है। नाबार्ड टेक्सटाइल कमेटी और वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से राज्य सरकार के कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के साथ-साथ स्थानीय उत्पादक संस्थाओं ने समन्वय से यह सफलता हासिल की गई है। कंसल्टेटिव कमेटी के परीक्षण के बाद 31 मार्च को केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने देश के 33 जीआई टैग मिलने पर ट्वीट कर बधाई दी है।