बिहार में नौकरी के लिए गए मप्र के डिग्रीधारी निकले अपात्र; कई निजी विश्वविद्यालयों ने बाँट दी फ़र्ज़ी डिग्री

 

भोपाल । मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों द्वारा मनमाने अंक और फर्जी डिग्री बांटने का जो खेल खेला जा रहा है वह देश के कई राज्यों के लिए समस्या खड़ी कर रहा है। बिहार सरकार ने मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों से फर्जी डिग्री पाने वाले तीन सौ अभ्यर्थियों को सरकारी भर्ती में अपात्र घोषित कर दिया। कनिष्ठ अभियंता की भर्ती में यह अभ्यर्थी मेरिट सूची में सबसे ऊपर थे लेकिन जब इनके प्रमाण पत्रों की छानबीन की गई तो वे सारे पैमानों पर खरे नहीं उतरे। बिहार सरकार के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है।
निजी विश्वविद्यालयों द्वारा डिग्री बांटने के गोरखधंधे से देशभर में मध्य प्रदेश की बदनामी हो रही है। मामला फिलहाल बिहार राज्य का सामने आया है। बिहार के बहुत सारे छात्रों ने मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों से 80 से 90 प्रतिशत अंक हासिल करने की डिग्री प्राप्त कर ली और इस आधार पर बिहार में कनिष्ठ अभियंता की भर्ती के लिए आवेदन पत्र दाखिल कर दिए। कनिष्ठ अभियंताओं की भर्ती के लिए जब भर्ती आयोग ने मेरिट लिस्ट तैयार की तो पता चला कि अधिकांश अभ्यर्थियों ने मध्य प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त की हैं। आयोग ने इसके लिए पहले तो अपने स्तर पर प्रमाण पत्रों की जांच के लिए काउंसलिंग की। इस दौरान उनके प्रमाण पत्रों की जांच की गई तो वे अलग-अलग वर्षों की फीस के दस्तावेज और कई अन्य आवश्यक दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। इसके बाद आयोग ने बिहार सरकार से परामर्श मांगा। सरकार की हरी झंडी के बाद बिहार तकनीकी भर्ती बोर्ड ने सभी तीन सौ अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया। बिहार तकनीकी बोर्ड के अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की और बताया कि फिलहाल फर्जी डिग्रीधारियों ने अदालत में इस निर्णय को चुनौती दी है। इस बारे में उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव शैलेंद्र सिंह ने कहा कि वे विभागीय अधिकारियों से इस बारे में पूछताछ करेंगे कि क्या बिहार सरकार ने इस बारे में कोई पत्राचार किया था। उहोंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली को लेकर शिकायतें मिली थीं उन पर कार्रवाई की जा रही है।