मप्र:महापौर, नपा व परिषद अध्यक्षों के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर असमंजस, गृहमंत्री ने मना किया

 

मध्य प्रदेश में नगर निगम के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता करेगी या फिर पार्षद इनका चुनाव करेंगे, इसको लेकर असमंजस बरकरार है। मंगलवार रात ऐसी खबर आई थी कि सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का फैसला कर लिया है। इतना ही नहीं, खबर तो यह भी आई नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों ने मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश का प्रारूप अनुमति के लिए राजभवन भेज दिया है। हालांकि प्रदेश के गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने इससे इंकार किया है। बुधवार को जब कुछ मीडियाकर्मियों ने उनसे इस बाबत सवाल पूछा तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि मध्यप्रदेश में नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत के चुनाव से जुड़ा कोई भी अध्यादेश अब तक राजभवन नहीं भेजा गया है।
इससे पहले यह चर्चा थी कि सरकार ने एक बार फिर महापौर-नगर पालिका अध्यक्षों के निर्वाचन प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के लिए राज्यपाल के पास अध्यादेश भेज दिया है। इसको लेकर मंगलवार देर रात प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठक भी हुई। हालांकि बैठक में अध्यादेश को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इधर नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने भी अभी तक निर्वाचन संबंधी किसी तरह का अध्यादेश राज्यपाल के पास भेजने से इंकार किया है।

इस तरह मप्र में कमलनाथ फार्मूले को लेकर भाजपा में असमंजस बरकरार है। नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने को लेकर भाजपा में मंथन जारी है। बीजेपी निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की पक्षधर है। लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। कमलनाथ सरकार ने निकाय चुनाव का फार्मूला बदला था। कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया था। वर्तमान में कमलनाथ सरकार का फार्मूला लागू है। जिस कारण महापौर और अध्यक्षों को पार्षद चुनते हैं। लेकिन अब शिवराज सरकार निकाय चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के मूड में हैं। जिससे महापौर, नगर पालिका और परिषदों के अध्यक्षों को सीधे जनता ही चुनेगी। बता दें कि पहले मेयर और पार्षद के लिए अलग-अलग वोटिंग होती थी, लेकिन कांग्रेस ने इस व्यवस्था को बदल दिया था। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने इसका खूब विरोध किया, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए अध्यादेश और फिर विधेयक की अनुमति दे दी थी।