मुख्य न्यायाधीश रमना ने कोर्ट में लगे मुकदमों के ढेर के कारण गिनाए, कहा- सरकार सबसे बड़ी मुकदमेबाज, कोर्ट का आदेश लागू नहीं होने से बढ़ रहे अवमानना के केस

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका की शक्तियों और क्षेत्राधिकार के बंटवारे की संवैधानिक व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि कर्तव्यों का निर्वहन करते समय हम सभी को लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका कभी शासन के रास्ते में आड़े नहीं आएगी, अगर यह कानून के अनुसार हो। शनिवार को मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में सीजेआइ ने अदालत में लगे मुकदमों के ढेर का कारण गिनाया।

सीजेआई ने कहा कि कुछ जिम्मेदार अथारिटीज के अपना काम ठीक से न करने के कारण 66 फीसदी मुकदमे होते हैं। सरकार और सरकारी उपक्रमों की आपसी मुकदमेबाजी पर चिंता जताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सबसे बड़ी मुकदमेबाज सरकार है। कोर्ट के आदेशों को वर्षों तक लागू नहीं किए जाने के कारण अवमानना के मुकदमे बढ़ने से एक नई श्रेणी तैयार होती है। इससे कोर्ट पर बोझ बढ़ता है। कोर्ट का आदेश होने के बावजूद सरकार का जानबूझकर कदम न उठाना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। प्रधान न्यायाधीश ने सरकार और सरकारी अथारिटीज के ढुलमुल रवैये के कारण बढ़ते मुकदमों के ढेर की ओर ध्यान आकर्षित किया। इससे निपटने के लिए न्यायपालिका का ढांचागत संसाधन और जजों की संख्या बढ़ाने की जरूरत बताई।

जस्टिस रमणा ने कहा कि हम सभी संवैधानिक पदाधिकारी हैं और संवैधानिक व्यवस्था का पालन करते हैं। संविधान में राज्य के तीनों अंगों की शक्तियों के बंटवारे का स्पष्ट प्रविधान है। उनके कामकाज, क्षेत्राधिकार और जिम्मेदारियां स्पष्ट हैं। राज्य के तीनों अंग समन्वय के साथ काम करते हैं, जिन्होंने राष्ट्र की लोकतांत्रिक नींव मजबूत की है।

सीजेआई ने कहा कि समझ नहीं आता कि सरकार के अंतर विभागीय झगड़े कोर्ट क्यों आते हैं? लगभग 50 फीसदी मुकदमे सरकार के हैं। अगर पुलिस की जांच निष्पक्ष हो और गैरकानूनी गिरफ्तारी और हिरासत में अत्याचार खत्म हो जाएं, तो कोई पीड़ित कोर्ट नहीं आएगा। लोक अभियोजकों की कमी एक बड़ा मुद्दा है और इसे देखा जाना चाहिए।