सुप्रीम कोर्ट में 30 फीसदी मेडिकल सीट के कोटे में परिवर्तन को दी चुनौती, राज्य सरकार से 4 सप्ताह में मांगा जवाब

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट में मप्र के इन-सर्विस कोटे की 30 फीसदी मेडिकल सीटों को अनारक्षित कोटे में परिवर्तित करने को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मप्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई शीर्ष कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ एवं जस्टिस हेमा कोहली की युगलपीठ कर रही है। डा. शालिनी अग्रवाल व अन्य ने याचिका दायर कर कहा कि राज्य शासन द्वारा इस वर्ष की मेडिकल प्रवेश काउंसलिंग में दूसरे चरण के पश्चात इन-सर्विस कोटे की सभी सीटों को सामान्य कोटे में परिवर्तित कर दिया है। इस मामले में मप्र हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मेडिकल प्रवेश नियम 2018 के नियम 4 एवं 14 की सम्मिलित व्याख्या के चलते शासन उचित रूप से दूसरे चरण के पश्चात इन-सर्विस कोटे की सभी सीटों को अनारक्षित कोटे में परिवर्तित कर सकता है एवं इसमें किसी भी तरीके की त्रुटि नहीं मानी जा सकती। गौरतलब है कि राज्य शासन द्वारा सभी मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों में 30 प्रतिशत कोटा इन-सर्विस डाक्टरों हेतु निर्धारित किया जाता है, जिसमें उन्हीं डाक्टरों को प्रवेश दिया जाता है, जो कि प्रदेश में तीन वर्ष से अधिक दूरस्थ, ग्रामीण एवं दुर्लभ क्षेत्रों में शासकीय चिकित्सक के रूप में सेवाएं देते है। परन्तु इस वर्ष दूसरे चरण की काउंसलिंग के पश्चात 30 प्रतिशत के कोटे की सभी सीटों को सामान्य कोटे की संबंधित श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया। दलील दी गई कि ऐसा करने से कोटा बनाने का औचित्य ही विफल हो जाता है। तर्क दिया गया कि नियम 4 एवं 14 वस्तुतः इन-सर्विस कोटे के मामले में इस प्रकार परिपालन किया जाना था कि आरक्षित श्रेणी और अनारक्षित श्रेणी के अंतिम चरण तक इन-सर्विस कोटे की सीटों को यथावत रखा जाए। याचिकाकर्ता डाक्टरों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता एवं अभिकल्प प्रताप सिंह ने पैरवी की।