
दुर्ग-पठानकोट एक्सप्रेस के फायर उपकरण थे खराब, कर्मियों ने यूज किये तो दे गए थे जवाब
चलती ट्रेन में आग लगती तो कई यात्रियों को जाती जानें
राजेश शुक्ला। ग्वालियर स्टेशन से मात्र 6 स्टेशन दूर हेतमपुर में ब्लॉॅक के कारण हॉल्ट लेकर दुर्ग-पठानकोट एक्सप्रेस खड़ी थी। मात्र सात मिनट का हॉल्ट यहां था,अगर सात मिनट बाद चलती ट्रेन के कोच-2 में अग्निकांड होता तो कई जान जा सकती थीं। वह तो गनीमत थी कि खड़ी ट्रेन में यात्रियों को अपनी जान बचाने का मौका मिल गया। करीब 50 से ज्यादा यात्री अपना सामान छोड़ तेजी से बच्चों को लेकर आपातकाल गेट से उतरें।
इस दौरान कई यात्री ट्रैक पर बिछी गिट्टी पर गिरकर चोटिल भी हो गए। हवा चलने के कारण आग तेजी से फैली और कई कोचों को अपने आगोश में ले लिया।
आज शनिवार को मुख्य संरक्षा आयुक्त मोहम्मद लतीफ रात स्पेशल ट्रेन से लखनऊ से झांसी आकर हेतमपुर में आ गए हैं। उनके साथ डीआरएम आशुतोष व अन्य अधिकारी मौजूद हैं। सभी अधिकारी अग्निकांड की जांच के दौरान स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं।
इधर रेलवे के पुख्ता सूत्र बताते हैं कि उधमपुर दुर्ग एक्सप्रेस के एसी कोचों में उपलब्ध सभी फायर उपकरण खराब थे। इस क ारण वक्त पर आग पर कबू नहीं पाया जा सका। टॉयलेट से धुआं उठने के बाद टिकट चेकिंग व अन्य कर्मचारियों को सूचित किया गया।
इस बात का पता लगते ही कर्मचारी फायर उपकरण लेकर मौके पर पहुंच गए, लेकिन एक भी उपकरण का नहीं निक ला। कर्मचारियों ने उपक रणों को चलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हर बार प्रयास बेकार रहा। इससे हादसा नहीं होता।
यह तो गनीमत थी कि ट्रेन स्टेशन पर रुकी थी, जिससे दमक ल की गाडिय़ां आधे से पौने घंटे में ही मौके पर पहुंच गई। अगर बीच रास्ते में ट्रेन रुकती तो कई और बोगियां जल सकती थीं।
बता दें कि ट्रेन के वातानुकूलित कोच के शौचालय के पास एक-एक फायर उपकरण लगा रखा है, ताकि आग लगने पर उस पर तुरंत काबू पाया जा सके। सूत्र यह भी बताते हैं कि फायर उपकरण इसलिए नहीं चले क्योंकि उनकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी थी।