
GWALIOR COURT NEWS: कंपनी के साथ अमानत में ख्यानत करने वाले आरोपी को दो वर्ष का सश्रम कारावास
ग्वालियर। न्यायालय एमएनएच रिजवी न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, ग्वालियर द्वारा आरोपी चित्रकांत दोहलिया पुत्र अशोक दोहलिया आयु 38 वर्ष निवासी लहार रोड, मिहोना जिला भिण्ड जिला भिण्ड को धारा धारा 408 भा०द०स० के तहत दो वर्ष के सश्रम करावास एवं 5000/-रू के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले adpo अभिषेक सिरौठिया ने प्रकरण की घटना के बारे में बताया कि कि दिनांक 08.05.2014 को रघुराज इन्ड्रस्ट्रीज प्रा.लि. के जनरल मैनेजर गौरव द्वारा पुलिस थाना थाटीपुर मे लिखित आवेदन प्रस्तुत किया कि रघुराज इंडस्ट्रीज प्रा. लि. कंपनी अधिनियम के अन्तर्गत पंजीबद्ध कंपनी है जिसका म०प्र० में व्यवसाय किये जाने हेतु ग्वालियर में नेहरू कॉलोनी थाटीपुर मुरार, ग्वालियर में कार्यालय स्थापित किया गया था। कंपनी द्वारा म०प्र० मे व्यवसाय का संचालन एवं समस्त कार्यवाही करने हेतु गौरव किशोर को नियुक्त कर जनरल मैनेजर के पद पर पदस्थ किया गया था जो कंपनी की ओर से समस्त कानूनी कार्यवाही करने हेतु सक्षम है। कंपनी के नियम व शर्तों के अनुसार प्रत्येक वितरक को कंपनी से माल कय किये जाने के उपरांत उसके संबंध में निर्धारित भुगतान राशि एन.ई.एफ.टी./डी.डी./एकाउंट पेयी चैक/आर.टी.जी.एस. के माध्यम से कंपनी को भुगतान करना होता है जिसके संबंध में दिशा निर्देश वितरक नियुक्त किये जाते समय ही प्रदान कर दिये जाते हैं एवं उक्त निर्देश कंपनी द्वारा वितरको को प्रदान किये गये बिलो मे भी उल्लेखित किये गये हैं। उक्त कंपनी में अभियुक्त चित्रकांत दोहलिया संभागीय विक्रय प्रबंधक के पद पर नियुक्त था। अभियुक्त का कार्य कंपनी द्वारा निर्मित माल को विक्रय करने एवं विक्रय किये गये माल के संबंध में एन.ई.एफ.टी./डी.डी./एकाउंट पेयी / आरटीजीएस के माध्यम से राशि संबंधित फर्मों से कंपनी के खाते में जमा कराया जाना था. परंतु अभियुक्त द्वारा कंपनी में पदस्थ रहते हुए कंपनी द्वारा वितरकों को विक्रय किये गये माल के भुगतान की राशि कंपनी का सेवक होने की हैसियत से संबंधित वितरक से प्राप्त की गई परंतु कंपनी में 7.73.953/- रुपये की राशि जमा नहीं करायी गयी तथा स्वयं के उपयोग में ले ली गयी। इस प्रकार अभियुक्त चित्रकांत दोललिया द्वारा स्वयं को अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नियत से तथा कंपनी के साथ धोखाधडी कर आर्थिक क्षति पहुंचाने की नियत से कंपनी का सेवक होकर आपराधिक न्यास भंग कर कंपनी को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।