
ग्वालियर-इंदौर, भोपाल और जबलपुर के निगमायुक्त बदले जा सकते हैं, हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे के इंतजार में जीएडी
भोपाल। मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने पिछले हफ्ते नगर निगम ग्वालियर में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 61 अधिकारी एवं कर्मचारियों को मूल विभाग लौटाने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट की एकलपीठ के इस आदेश पर रोक लगाने के लिए कुछ कर्मचारियों ने डबल बैंच में अपील की है। इस बीच सरकार ने भी एकलपीठ के आदेश का पालन करने की वजाए डबल बैंच के फैसले का इंतजार शुरू कर दिया है। डबल बैंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अभी तक न तो ग्वालियर नगर निगम आयुक्त को हटाया है और न ही अन्य किसी अधिकारी एवं कर्मचारी की सेवा मूल विभाग को लौटाई है।
हाईकोर्ट के फैसले का सामान्य प्रशासन विभाग ने अध्ययन कर लिया है, लेकिन कार्रवाई नहीं की है। जिसकी वजह यह बताई जा रही है कि यदि उच्च न्यायालय के फैसले के पालन में ग्वालियर निगम आयुक्त संघप्रिय समेत अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों की सेवा मूल विभाग को लौटाई जाती हैं तो फिर अन्य नगर निगम एवं निकायों को लेकर भी भविष्य में ऐसा निर्णय लेना पड़ सकता है। क्योंकि ग्वालियर नगर निगम के निर्णय के आधार पर लोक न्यायालय से इस तरह के आदेश पारित करा सकते हैं। बताया गया कि प्रदेश में सभी नगरीय निकायों में करीब 4 हजार से ज्यादा अधिकारी एवं कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं। जिनमें ज्यादातर को 5 साल से अधिक समय से पदस्थ हैं। यदि ग्वालियर मामले में उच्च न्यायालय का पालन होता है तो फिर अन्य नगरीय निकायों को लेकर भी इस तरह के निर्णय करने पड़ेंगे। जिससे भविष्य में निकायों की प्रशासनिक व्यवस्था गड़बड़ा सकती है।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी ने बताया कि एकलपीठ के निर्णय के खिलाफ कुछ लोग युगलपीठ में गए हैं। युगलपीठ के फैसले के बाद तय होगा कि ग्वालियर नगर निगम से प्रतिनियुक्तियां समाप्त की जाए या नहीं। हालांकि मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि युगलपीठ का फैसला कुछ भी आए, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के निगमायुक्त बदले जा सकते हैं। क्योंकि इन निगमों में आईएएस अधिकारी पदस्थ हैं। इनमें से भोपाल निगमायुक्त हरेन्द्र नारायण यादव और जबलपुर निगमायुक्त प्रीति यादव को किसी जिले का जिलाधीश बनाया जा सकता है।