जिलों में मंत्री नहीं कर रहे रात्रि विश्राम,मुख्यमंत्री मोहन यादव के दिशा-निर्देश दरकिनार

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनता के मन में सरकार के प्रति आकर्षण पैदा करने और उनके दर पर ही उनकी समस्याओं का निराकरण करने की मंशा से मंत्रियों को अपने प्रभार वाले जिलों में रात्रि विश्राम करने का निर्देश दिया था। लेकिन मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश को दरकिनार कर दिया है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री तो हर महीने एक जिले में रात्रि विश्राम कर रहे हैं, लेकिन मंत्री ऐसा नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रदेश सरकार के सभी मंत्रियों को अब प्रभार वाले जिलों में रात्रि विश्राम करना होगा। मंत्री चाहें तो रात्रि विश्राम जिला मुख्यालय या किसी जनपद या फिर गांव में कर सकते हैं। लेकिन मंत्रियों ने सरकार के दिशा-निर्देश का पालन करना उचित नहीं समझा है। गौरतलब है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों की जिलों में रात्रि विश्राम करने की परंपरा पुरानी है, लेकिन बीच-बीच में सरकारों द्वारा इस परंपरा को भुला दिया जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जिलों में रात्रि विश्राम की इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वे हर महीने किसी न किसी जिले में रात्रि विश्राम जरूर कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने 13 जनवरी को रीवा में रात्रि विश्राम किया। इससे पहले वे स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल हुए और जनप्रतिनिधियों से चर्चा की तथा आमजनों से भी मुलाकात की।
कई जिलों में रात्रि विश्राम कर चुके हैं सीएम
मप्र में जहां एक तरफ मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में जाने से कतरा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री प्रदेशभर में दौरा कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने अभी तक कई जिलों में रात्रि विश्राम भी किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अभी तक ग्वालियर, सागर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, रीवा, जबलपुर, इंदौर, मुरैना, श्योपुर, रीवा आदि जिलों में रात्रि विश्राम कर चुके हैं। कभी कभी महीने में दो जिलों में भी रात्रि विश्राम कर लेते हैं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मंत्रियों को भी कैबिनेट की बैठक में अपने-अपने प्रभार वाले जिले या अन्य जिलों में रात्रि विश्राम के निर्देश दे चुके हैं। लेकिन ज्यादातर मंत्रियों की इसमें कोई रुचि नहीं है। हालांकि कुछ मंत्री सिर्फ प्रभार वाले जिलों तक ही रात्रि विश्राम की खानापूर्ति कर रहे हैं। सामान्यत: रात्रि विश्राम से पहले मुख्यमंत्री सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। साथ ही संबंधित जिले के आम लोगों से भी मुलाकात करते हैं और उनसे समस्याएं भी पूछते हैं। इस दौरान जरूरतमंदों की समस्याओं का भी त्वरित समाधान हो जाता है। मुख्यमंत्री 13 जनवरी को रीवा पहुंचे, जहां उन्होंने 16 जनवरी को शहडोल संभाग स्तर पर होने वाली रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही उन्होंने कॉन्क्लेव के संबंध में रीवा एवं शहडोल के उद्योगपतियों से चर्चा की और उन्हें समिट में आने एवं निवेश के लिए आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहडोल जिला अपनी खनिज संपदा, ऊर्जा क्षमताओं, धार्मिक महत्व, प्राक्तिक सौंदर्य और पुरातात्विक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव न केवल निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि इस क्षेत्र की समग्र प्रगति के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
अधिकारी भी नहीं करते विश्राम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंत्रियों की तरह मंत्रालय से जिलाधिकारियों की वीडियो कॉफ्रेंस में भी जिलाधिकारी, संभागायुक्तों को क्षेत्र के किसी गांव में रात्रि चौपाल लगाने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन मैदानी अधिकारियों की भी इसमें कोई रुचि नहीं है। अभी तक किसी भी जिलाधीश द्वारा अपने जिले के किसी गांव में रात्रि विश्राम करने की सूचना सामने नहीं आई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई बार यह निर्देश दिया है। इस महीने के शुरू में मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास का विजन डॉक्यूमेंट (रोडमैप) बनाने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा है कि सभी विधायक क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ जन समस्याओं के निराकरण को लेकर जन-संवाद करें। जनकल्याण अभियान के मिल रहे परिणामों का आकलन करें और सुनिश्चित करें कि कोई भी पात्र व्यक्ति सरकार की योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे। इसके लिए जरूरी है कि जनता के बीच जाएं, उनसे संवाद करें, उनकी समस्याएं जानें और निराकरण के लिए तुरन्त कदम उठाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्रीगण, सांसद, विधायक एवं अन्य जन-प्रतिनिधियों से कहा कि वे सरकार की योजनाओं का फीडबैक लेने के लिए अधिकाधिक फील्ड दौरे करें। जन-प्रतिनिधि, क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ दूरस्थ गांव (विशेषकर जनजातीय ग्राम) में रात्रि विश्राम करें। वहां ग्रामीणों से बात करें, उनकी कठिनाईयों का समाधान करें। मुख्यमंत्री ने दिन-ब-दिन बढ़ती सर्दी के मद्देनजर कलेक्टर एवं जिला अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे रैन बसेरों का औचक निरीक्षण करें। जरूरतमंदों को कंबल एवं गर्म वस्त्र प्रदाय करें। किसी को भी सर्दी से कठिनाई न होने पाए।
पुलिस अधिकारी भी नहीं करते गांवों में रात्रि विश्राम
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सत्ता में आने पर पद संभालने के 15 दिन बाद ही पुलिस मुख्यालय में अपराध और कानून व्यवस्था की समीक्षा को लेकर आला अफसरों की बैठक ली थी। प्रदेश में बढ़ते अपराध और लॉ एंड आर्डर को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ताकीद किया था कि पुलिस अधिकारी ग्रामीण इलाकों में रात्रि विश्राम करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ने एसपी से लेकर एडीजी स्तर तक के अधिकारियों को अपने अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले ग्रामीण इलाकों में रात्रि विश्राम के निर्देश दिए थे। दरअसल सीएम के मौखिक फरमान को अब तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। अभी तक रात्रि विश्राम के संबंध में किसी भी एसपी द्वार पीएचक्यू को रिपोर्ट नहीं भेजी गई। प्रदेश में आपराधिक वारदात का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। लॉ एंड आर्डर को कंट्रोल करने में भी पुलिस को दिक्कत आ रही है। कई जगह दूरस्थ के थानों में पुलिसकर्मियों को भी स्थानीय स्तर पर कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने रात्रि विश्राम की बात इसी उद्देश्य को लेकर की थी कि इससे जनता और पुलिस की दूरी को कम किया जा सकेगा। अफसर रात्रि विश्राम के माध्यम से जन संवाद करेंगे तो अपराधों के निराकरण स्थिति में सुधार होगा। साथ ही कानून व्यवस्था भी पुख्ता हो सकेगी। लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं हो सका है।