परिवहन मंत्री के ओएसडी तिवारी की निज स्थापना को लेकर विवाद, सरकारी आदेश पर भारी मंत्री के निज सचिव
भोपाल । परिवहन नाकों के बंद होने के बाद भी अवैध नाके बनाकर अवैध वसूली और पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त के छापे के बाद इनदिनों सबके निशाने पर परिवहन विभाग है। वैसे परिवहन विभाग का विवादों से पुराना नाता है। लेकिन ताजा विवाद परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह की निजी स्थापना में पदस्थ निज सचिव वीरेन्द्र तिवारी के मामले को लेकर है। दरअसल, सरकार ने उन्हें परिवहन मंत्री का निज सचिव नियुक्त किया है, लेकिन तिवारी स्वयं उनके ओएसडी (विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी)बन गए हैं।
मंत्रालयीन सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में वीरेन्द्र तिवारी परिवहन विभाग में अपनी मनमानी के कारण चर्चा में हैं। तिवारी विभाग में अधिकारियों पर भारी पड़ रहे हैं। उनकी मनमानी के कारण विभागीय अफसर परेशान हैं। सूत्रों का कहना है कि उनके प्रभाव के कारण विभाग में अवैध गतिविधियां तेज हो गई हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिरकार तिवारी को किसका संरक्षण मिला हुआ है।
आदेश और नियम दरकिनार
जहां एक तरफ पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त के छापों की चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी तरफ परिवहन मंत्री की निजी स्थापना में पदस्थ निज सचिव की इन दिनों मंत्रालय में जोरों पर चर्चा है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 12 अगस्त 2024 को जारी आदेश में नगरीय प्रशासन विभाग के सहायक संचालक वीरेन्द्र तिवारी को मंत्री की निजी पदस्थापना में निज सचिव पदस्थ किया था। जबकि मंत्री कार्यालय से शासन एवं अन्य सरकारी कार्यालयों के लिए जारी किए जा रहे पत्रों में वीरेन्द्र तिवारी खुद को विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी बता रहे हैं। खास बात यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद तिवारी ने ओएसडी से खुद का नाम हटाने के साथ-साथ हस्ताक्षर भी बदल दिए हैं। सामान्यत: मंत्रियों के स्टाफ में ओएसडी की पदस्थापना विभाग अपने स्तर पर करते हैं। मंत्री उदय प्रताप सिंह के पास शिक्षा और परिवहन विभाग है। बताया गया कि मंत्री स्टाफ में शासन स्तर से पदस्थापना में देरी की वजह से तिवारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर राज्य ओपन बोर्ड में ली गई। वहां से उन्हें मंत्री स्टाफ में विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी पदस्थ किया गया। हालांकि इसका कोई आदेश सामने नहीं आया है। न ही सामान्य प्रशासन विभाग को इसकी सूचना थी। यही वजह है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछले साल 12 अगस्त को जारी आदेश में तिवारी को मंत्री स्थापना में बतौर निज सचिव पदस्थ कर दिया।
निज सचिव के नियुक्ति आदेश के बाद ओएसडी से नाम हटाया
निज सचिव के पद पर नियुक्ति का आदेश जारी होने से पहले वीरेन्द्र तिवारी मंत्री कार्यालय से जो नोटशीट या पत्र भेजते थे, उसमें विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी के साथ-साथ वीरेन्द्र तिवारी का नाम भी होता था। साथ में संपूर्ण हस्ताक्षर भी होते थे। निज सचिव का आदेश जारी होने के बाद तिवारी ने सिर्फ विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी के नाम से पत्र भेजना शुरू कर दिया। अपना नाम हटा लिया और हस्ताक्षर भी बदल लिए। उल्लेखनीय है कि स्कूल एवं परिवहन मंत्री के स्टाफ में पिछले महीने शिक्षा विभाग ने आलोक खरे को बतौर ओएसडी पदस्थ किया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव अक्षय कुमार ने 12 अगस्त को परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री की निजी स्थापना में वीरेन्द्र तिवारी को निज सचिव पदस्थ किया था। इस आदेश के परिपालन में तिवारी ने निज सचिव के पद पर ज्वाइन नहीं किया। यदि ज्वाइन किया है तो फिर ओएसडी किस आधार पर लिखा जा रहा है? वहीं ज्वाइन नहीं किया तो फिर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश निरस्त क्यों नहीं किया। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी मामले को दिखवाने की बात कह रहे हैं।