
ब्यूरोक्रेट्स बने ज्योतिषाचार्य, प्रदेश के कई IAS- IPS अफसरों पर चढ़ा ज्योतिष विद्या का शौक
भोपाल। ब्यूरोक्रेट्स जैस उच्च ओहदे पर आसिन होने के बाद भी कई अफसर अन्य क्षेत्रों में भी महारथ हासिल करने की कोशिश करते रहते हैं। ऐसे ही अफसरों में कुछ ऐसे हैं जो ज्योतिष विद्या को सीख रहे हैं या ज्योतिषाचार्य बन गए हैं। सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला हों या डीजी पुलिस रहे एसएस लाल। डायरेक्टर स्पोट्र्स के पद से सेवानिवृत्त हुए आईपीएस अधिकारी शैलेंद्र श्रीवास्तव को भी ज्योतिष खूब पसंद है। इनके अलावा कई अन्य अफसर भी ऐसे हैं जो ज्योतिष के क्षेत्र में अपने ज्ञान का बढ़ा रहे हैं। ऐसे अफसरों के पास आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अपने भाग्य की गणना कराने पहुंच रहे हैं।
प्रदेश के कई पुलिस अधिकारियों में इन दिनों ज्योतिष के अध्ययन का शौक लगा है। सितंबर में एडीजी (अजाक) के पद से सेवानिवृत्त हुए राजेश गुप्ता का भी बचपन से ज्योतिष का शौक पुलिस सेवा में आने के बाद भी कम होने की जगह बढ़ता ही गया। ऋषि कुमार शुक्ला तो ज्योतिष में शोध को बढ़ाने में लगे हैं। उनका कहना है, ज्योतिष भविष्य बताने के नाम पर डराने और उपाय बताने का विषय नहीं है। एसएस लाल ने ज्योतिष पर पुस्तकें भी लिखी हैं। कई आईएएस अधिकारियों को भी इसी तरह का शौक रहा है। इनमें डीएस माथुर, जेएस माथुर का नाम शामिल हैं। इसके पहले तत्कालीन सीएस रहे राकेश साहनी भी ज्योतिषी का ज्ञान रखते थे। ऋषि कुमार शुक्ला बताते हैं कि काल को समझने का प्रयास, तो समस्त मानवीय तलाशों में सबसे ऊपर रहा है। भविष्य को जानने की इच्छा ही मनुष्य को कर्म की ओर प्रेरित करती है। भविष्य को कैसे सुधारा जाए, इसमें पूरा विज्ञान लगा है।
ज्योतिष के प्रति जिज्ञासा के साथ बढ़ी सीखने की ललक
ज्योतिष में रुचि को लेकर सेवानिवृत्त डीजीपी एसएस लाल बताते हैं कि कुछ जिज्ञासा होती है बचपन से। कोई संगति मिल जाती है तो उसमें आगे बढ़ जाते हैं। आईआईटी कानपुर में जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, तो वह कुछ विद्यार्थी हाथ देखकर भविष्य बताते थे। हमें भी जिज्ञासा हुई। सेवा में आने पर मैं भिंड में एएसपी था। वहां, हिंदी के प्राध्यापक डॉ. एसएस शर्मा ने मेरे विवाह और ट्रांसफर को लेकर जो संभावना जताई, वह सही निकली। इसके बाद मैंने उनसे सीखना प्रारंभ किया। राकेश साहनी के साथ बिजली विभाग में काम किया। वह भी इस विषय को लेकर जिज्ञासु थे। मैंने भी ज्योतिष शास्त्र को लेकर दो पुस्तकें भी लिखी हैं। सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेश गुप्ता का मानना है कि उनका संपर्क लंबे समय से ज्योतिष पर काम करने वाले लोगों से रहा है। उनके पिता को भी शौक था। वह आईएफएस अधिकारी थे। कोई प्राकृतिक और छिपी हुई चीज को जानना और समझना मेरा शौक है, जिसमें रेकी और होम्योपैथी भी शामिल है। इसके लिए पुस्तकों का भी अध्ययन करता रहता हूं।
ज्योतिष की सही विवेचना हो
ऋषि कुमार शुक्ला बताते हैं कि काल को समझने का प्रयास, तो समस्त मानवीय तलाशों में सबसे ऊपर रहा है। भविष्य को जानने की इच्छा ही मनुष्य को कर्म की ओर प्रेरित करती है। भविष्य को कैसे सुधारा जाए, इसमें पूरा विज्ञान लगा है। उनके मुताबिक कि ज्योतिष में आज कई भ्रांतियां फैली हैं। किसे क्या समस्या हो सकती है, उसके उपाय क्या होंगे? यह सब ज्योतिष में चल रहा है। इन भ्रांतियों को कैसे दूर करें। कैसे शोध कर सही दिशा में पहुंचें। ज्योतिष की सही विवेचना हो। यही प्रयास हमारा है। इसके लिए हमने एक संस्था भी बनाई है। मेरे परिवार में पीढिय़ों से ज्योतिष और आयुर्वेद को माना जाता रहा है। मेरी भी रुचि शुरू से ही रही। लगभग 25 वर्ष पहले खोजबीन की तो जिज्ञासा और बढ़ गई।
पढ़ाई के समय से ही ज्योतिष के प्रति लगाव
ज्योतिष में रुचि को लेकर सेवानिवृत्त डीजीपी एसएस लाल बताते हैं हैं कुछ जिज्ञासा होती है बचपन से। कोई संगति मिल जाती है तो उसमें आगे बढ़ जाते हैं। आईआईटी कानपुर में जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, तो वह कुछ विद्यार्थी हाथ देखकर भविष्य बताते थे। हमें भी जिज्ञासा हुई।’ ‘सेवा में आने पर मैं भिंड में एएसपी था। वहां, हिंदी के प्राध्यापक डॉ. एसएस शर्मा ने मेरे विवाह और ट्रांसफर को लेकर जो संभावना जताई, वह सही निकली। इसके बाद मैंने उनसे सीखना प्रारंभ किया। राकेश साहनी के साथ बिजली विभाग में काम किया। वह भी इस विषय को लेकर जिज्ञासु थे। मैंने भी ज्योतिष शास्त्र को लेकर दो पुस्तकें भी लिखी हैं। वहीं सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजेश गुप्ता बताते हैं कि उनका संपर्क लंबे समय से ज्योतिष पर काम करने वाले लोगों से रहा है। उनके पिता को भी शौक था। वह आईएफएस अधिकारी थे। कोई प्राकृतिक और छिपी हुई चीज को जानना और समझना मेरा शौक है, जिसमें रेकी और होम्योपैथी भी शामिल है। इसके लिए पुस्तकों का भी अध्ययन करता रहता हूं।