मनुष्य बाह्य नहीं अपितु आंतरिक जीवन में वैराग्य धारण करें-आचार्य रामश्याम तिवारी

ग्वालियर। मनुष्य बाह्य नहीं अपितु आंतरिक जीवन में वैराग धारण करें तभी वह अपना व संसार का भला कर सकता है। यह बात ग्वालियर स्थित न्यू जवाहर कॉलोनी, कंपू में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन भक्तों को कथा सुनाते हुए आचार्य रामश्याम तिवारी ने कही। आचार्य तिवारी ने कथा में सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, सुखदेव परीक्षित जन्म का विस्तार से वर्णन किया।
व्यास पीठ से आचार्य रामश्याम तिवारी ने कहा संसार के सारे रिश्ते कुछ सालों के हैं, यह यहीं छूट जाने हैं। इसलिए अपनी जिम्मेदारियां को तय मानकों तक निभाते हुए अंतर मन में वैराग्य धारण करें और सत मार्ग पर चलें। हम सत मार्ग पर चल रहे हैं यह हमें तभी पता लगेगा, जब हमें कोई कार्य किसी से चोरी, छुपे नहीं करना पड़े और हमें आंतरिक सुख की अनुभूति होने लगें।