गंभीर आरोपों में घिरा कूनो प्रबंधन, चीतों को अवैध तरीके से किया 110 बार ट्रेंकुलाइज, अवैध ट्रेंकुलाइजेशन से हुई थी पवन की मौत!

ग्वालियर/श्योपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक चीता प्रोजेक्ट में वन विभाग के अधिकारियों की गंभीर अनियमिता को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। कूनो नेशनल पार्क का प्रबंधन गंभीर आरोपों से घिर गया। आरोप है कि पार्क में चीतों को अवैधानिक रूप से 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया। अवैध ट्रेंकुलाइजेशन से ही चीता पवन की मौत हुई है। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने चीता शावकों में टिक्स (परजीवी) मिलने से मॉनीटरिंग के दावों पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही मृत चीतों के पोस्टमार्टम में भी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है। जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) को शिकायत कर जांच करने की मांग की गई है।
अफ्रीका महाद्वीप से आए चीतों को देश में दो साल पूरे हो गए हैं। इस बीच कूनो के प्लान में प्रोजेक्ट चीता का उल्लेख नहीं होने के बाद अब गंभीर अनियमिताओं का खुलासा हुआ है। कूनो में अवैध तरीके से चीतों को 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया। इसे लेकर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह और एनटीसीए को शिकायत की गई है। शिकायत के अनुसार कूनो नेशनल पार्क में चीतों को अवैधानिक रूप से 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया, जबकि वन्य प्राणी संरक्षरण अधिनियम 1972 की धारा 11 में शेड्यूल 1 में चीता को ट्रेंकुलाइज करने के लिए मुख्य वन्य जीव वार्डन (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) की अनुमति अनिवार्य है। इसका उल्लंखन कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ और सिंह परियोजना के संचालक उत्तम शर्मा द्वारा किया गया। चीतों के स्वास्थ्य के साथ जानलेवा व्यवहार किया गया, जिसकी जांच जरूरी है। कूनो में कुछ दिन पहले मृत पाए गए चीता पवन की मॉनीटरिंग में भी लापरवाही सामने आई है। शिकायत में दावा किया गया है कि पवन को अनावश्यक रूप से ट्रेंकुलाइज किया गया है, जो उसके लिए घातक साबित हुआ। साथ ही यह भी संभावना जताई गई है कि अन्य मृत चीतों के साथ भी ऐसी लापरवाही बरती गई हो।
पोस्टमार्टम प्रोटोकॉल का उल्लंघन
एनटीसीए से निर्धारित एसओपी के अनुसार मृत चीतों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होती है। आरोप है कि कूनों में इस प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं किया गया। इसके अलावा चीतों के शावकों में टिक्स (परजीवी) पाए जाने की सूचना मिली है, जो उनकी मॉनीटरिंग के दावों पर सवाल खड़े करती है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि कूनो में बड़ी संख्या में अनावश्यक रूप से चीतों के सैंपल लिए गए, लेकिन इनकी रिपोर्ट न तो एनटीसीए को भेजी और न ही मुख्य वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को। इसमें भी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।

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