मध्य प्रदेश: शिवराज ने रद्द की 93 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता, बार-बार कहने पर भी नहीं जमा करा रहे थे जरूरी दस्तावेज
मध्य प्रदेश सरकार ने नर्स पंजीकरण परिषद द्वारा मांगे गए दस्तावेजों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ना जमा करने के कारण 93 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को रद्द कर दिया है। मान्यता रद्द होने वाले कॉलेजों में 16 कॉलेज इंदौर में, आठ भोपाल में और सात जबलपुर में हैं।
उच्च न्यायालय ने 12 मई को एमपी नर्सिंग काउंसिल से 453 कॉलेजों से दस्तावेजों और तस्वीरों सहित विवरण मांगा था। बार-बार रिमाइंडर और कोर्ट में सुनवाई के बाद भी इन 93 कॉलेजों ने काउंसिल को कोई जवाब नहीं दिया। बीते शुक्रवार को डिप्टी एडवोकेट जनरल स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को जानकारी दी कि इन कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगा।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार द्वारा अदालत के सामने प्रस्तुत हलफनामे को गलत मानते हुए राज्य सरकार को एमपी नर्सिंग काउंसिल चलाने के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्रस्तुत कुछ तस्वीरों का संज्ञान लेते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि यह “चौंकाने वाला” था कि कुछ टिन शेड को कॉलेज के रूप में दिखाया गया है।
वर्तमान स्थिति के लिए रजिस्ट्रार जिम्मेेदार
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “अदालत के समक्ष दायर हलफनामे के साथ-साथ पिछले हलफनामों और रिकॉर्ड की गई सामग्री पर विचार करने पर, यह रजिस्ट्रार (एमपी नर्सिंग काउंसिल) द्वारा अदालत को गलत जानकारी देने में शामिल होने का संकेत देगा।” अदालत के आदेश में कहा गया है कि परिषद के रजिस्ट्रार द्वारा हलफनामे पर दिए गए बयानों को याचिकाकर्ता के हलफनामों के माध्यम से झूठा दिखाया गया है और यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। पीठ ने यह भी कहा कि “वर्तमान स्थिति के लिए रजिस्ट्रार बहुत हद तक जिम्मेदार है”, यह कहते हुए कि रजिस्ट्रार की चूक और कमीशन के कृत्यों के कारण छात्रों का करियर खतरे में था।