दो साल बाद भी मप्र विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद खाली,13 सितंबर से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू
भोपाल । मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के दो साल हो चुके हैं। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बीजेपी की शिवराज सरकार बनी थी। बावजूद इसके मध्य प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद अब तक तय नहीं हुआ है। 13 सितंबर से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में उपाध्यक्ष पद को लेकर दोबारा सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सत्तापक्ष अपने दल का उपाध्यक्ष चाहता है, जबकि विपक्षी दल के सदस्यों की मंशा है कि परंपरा अनुसार उन्हें पद मिले। लेकिन कमलनाथ सरकार में उपाध्यक्ष अपने दल के व्यक्ति को ही बनाया था।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार में कमलनाथ ने बीजेपी को दिया था क्या, पद जो हम उनको देंगे। परंपरा बरसों से चली आ रही थी कांग्रेस की सरकार ने तोड़ दी। उन्होंने ख़ुद का उपाध्यक्ष बनाया था और परंपरा तोड़ी है। सत्र में ही चुनाव हो या नॉमिनेशन पद को लेकर हो सकेगा। जब भी उपाध्यक्ष बनेगा भारतीय जनता पार्टी का ही बनेगा। हम ये पद किसी को नहीं देंगे। अब विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को लेकर बीजेपी पर कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि बीजेपी हमेशा से ही निर्लज्जता पूर्वक सब करती आ रही है। अब भी कर ही ले। अध्यक्ष के चुनाव निर्विरोध होते हैं, लेकिन बीजेपी ने फिर भी अपनी पार्टी के लोगों को आगे किया। प्रदेश से लेकर केन्द्र तक उनकी मर्जी की सरकार है। परंपरा निभानी है, तो उसमें एक सच बोलने की परम्परा भी बीजेपी जरूर शामिल करें। विधानसभा में सत्य बोला जाता है। तो ये परम्परा भी बीजेपी निभाना शुरू करे।