ग्वालियर: लैंड रिकॉर्ड की महिला अधिकारी की दहेज हत्या के मामले में जीजा और बहन को मिली जमानत, संघर्ष समूह ने दिलाया न्याय
राजेश शुक्ला , ग्वालियर। ग्वालियर सत्र न्यायालय ने दहेज हत्या के मामले में आरोपी पति के जीजा व बहन को जमानत प्रदाय की। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में आरोपी पति के जीजा और उसकी बहन का किसी भी प्रकार का सहयोग और सबूत पुलिस को नहीं मिले हैं, इस कारण से जीजा और बहन को न्यायालय जमानत प्रदान करता है। जमानत मिलने के उपरांत दोनों को रिहा कर दिया गया। जानकारी अनुसार ग्वालियर निवासी पशु चिकित्सक का विवाह एक महिला के साथ हुआ था ।शादी के उपरांत दोनों पति-पत्नी दर्पण कॉलोनी ग्वालियर में निवास कर रहे थे । पति की बहन जो पैसे से चिकित्सक है ने प्रेम विवाह चिकित्सक से किया था जिसके चलते आरोपी पति की बहन व उसका जीजा अपने कार्य क्षेत्र में निवास कर अपना कार्य करते रहे थे ।
जनवरी 2021 को न्यू कलेक्ट्रेट रोड स्थित मेट्रो टावर के पास झाड़ियों में सुबह एक महिला का अधजला शव मिला था । शव की पहचान लैंड रिकार्ड में कार्यरत महिला अधिकारी के रूप में हुई थी । मृतका की गुमशुदगी पति संजय बैस ने रात में ही थाटीपुर थाने में दर्ज कराई थी। सुबह महिला का शव मिलने के बाद पति अपने बहनोई के साथ मौके पर पहुंच गया था, लेकिन संजय ने पत्नी के शव को पहचानने से इंकार कर दिया था। पुलिस ने संदेह के आधार पर डाक्टर पति के साथ उसके बहनोई और बहन को भी दहेज हत्या के मामले में पंजीबद्ध किया था।
थाना विश्वविद्यालय के द्वारा पति को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया जहां से उसको न्यायिक अभिरक्षा में केंद्रीय जेल ग्वालियर भेज दिया गया जहां पर वह आज भी अभिरक्षा में है । विवेचना थाना विश्वविद्यालय के द्वारा आरोपी पति की बहन जीजा व सास के विरुद्ध भी प्रकरण पंजीबद्ध कर चला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। चालान की जानकारी होने पर आरोपी जीजा और बहन ने अग्रिम जमानत के आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किए। जिसमें पुलिस के द्वारा मामला गंभीर प्रवृत्ति का होने से उनके जमानत आवेदनों पर आपत्ति के बाद जमानत न देने का निवेदन किया गया । जिसके चलते ग्वालियर उच्च न्यायालय के द्वारा सभी आरोपी के अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त कर दिए गए ।
जिला न्यायालय से बाद सभी लोगों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसको सुप्रीम कोर्ट ने भी निरस्त कर दिया।
अग्रिम जमानत के आवेदन निरस्त होने के उपरांत आरोपी जीजा के संघर्ष समूह से संपर्क किया और घटना से संबंधित तथ्य उनके समक्ष प्रस्तुत किए गए। अध्ययन के उपरांत संघर्ष अधिवक्ताओं के द्वारा द्वारा आरोपी जीजा व बहन की निर्दोष संबंधी समस्त दस्तावेजों को संबंधित विभागों से आवश्यक कार्रवाई कर प्राप्त किया गया। उक्त तथ्यों को सत्र न्यायालय के समक्ष निष्पक्ष जांच व आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रस्तुत किया गया जिसमें सत्र न्यायालय के द्वारा आवेदन के आधार पर पुलिस से जवाब तलब किया गया । प्रस्तुत दस्तावेजों व कार्रवाई के चलते पुलिस थाना विश्वविद्यालय के द्वारा इस तथ्य को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया की आरोपी जीजा आरोपी बहन का आरोपी सास के विरुद्ध हत्या करना या दहेज हत्या करना अथवा साक्षी छुपाना के संदर्भ में किसी भी प्रकार का कोई आरोप नहीं है और न ही इस से संबंधित कोई भी तथ्य जांच में आए हैं बल्कि मृतका की बहन के कथन के आधार पर उनके विरुद्ध मात्र 498 बताना से संबंधित धारा का ही विचरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है इसी दौरान आरोपी जीजा की गिरफ्तारी हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार की गई एवं उनको सत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया पुलिस के द्वारा प्रस्तुत जवाब के आधार पर सत्र न्यायालय के द्वारा आरोपी जीजा वह तदुपरांत आरोपी की बहन को जमानत पर रिहा किए जाने के आदेश दिए गए।
लीगल एक्सपर्ट
दहेज हत्या से संबंधित अपराधों में मुख्य आरोपी के अलावा जिसमें पति सम्मिलित होता है।परिवार के अन्य रिश्तेदार जिनका अपराध या घटना किसी भी प्रकार से कोई लेना देना नहीं होता है । रंजिश निकालने और पैसे की मांग के लिए फंसाए जाने का प्रचलन काफी दिखने में आता है जिसके चलते पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इन मामलों में रिश्तेदारों के नामों को पृथक करने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में जो आरोपी जीजा और बहन के द्वारा अंतरजातीय प्रेम विवाह किया गया था एवं आरोपी के पिता इस बात से काफी नाराज थे।
सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2020 के एक आदेश के तहत आरोपी जीजा का आरोपी की बहन की ओर से पृथक निष्पक्ष विवेचना हेतु आवेदन कुछ तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया था जिसके चलते पुलिस के द्वारा उनके संबंध में संज्ञान लिए जाने का वास्तविक कारण उल्लेखित करके जवाब न्यायालय में दिया गया था । वक्त जवाब के आधार पर और अभी जीजा वह बहन को जमानत प्राप्त कोई पूर्व में पुलिस के द्वारा सामान्य प्रक्रिया के तहत ही जवाब प्रस्तुत की गई थी जिसके चलते उनके अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त हुए थे।
इस मामले में संघर्ष समूह के मुख्य कानूनी सलाहकार अधिवक्ता प्रदुमन सिंह और अधिवक्ता प्रशांत शर्मा के द्वारा संयुक्त रूप से आरोपी जीजा की ओर से कार्रवाई कर उन्हें राहत प्रदान की गई।