मप्र में जनसंख्या रेट घटाने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई नहीं, मुख्य सचिव को नोटिस
जबलपुर। प्रदेश में जनसंख्या रेट घटाने के सिलसिले में मप्र सरकार को भेजे गये अभ्यावेदन पर निर्णय लें तथा आवश्यक आदेश जल्द से जल्द पारित करें। यह निर्देश मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमथ तथा न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने ६ मई को डॉ.पीजी नाजपांडे द्वारा दायर जनहित याचिका के सिलसिले में जारी किया था, किन्तु इस आदेश को एक माह होने के बावजूद भी प्रदेश सरकार ने मप्र हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत कोई कार्रवाई नहीं की है, अत: नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ.पीजी नाजपांडे ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आज नोटिस भेजकर एक माह के भीतर अभ्यावेदन पर निर्णय लेने की मांग की तथा स्पष्ट किया कि कोई भी निर्णय के अभाव में पुन: न्यायालय की शरण ली जायेगी।
उल्लेखनीय है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से एडवोकेट सुरेंद्र वर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में बताया गया है कि प्रदेश में जनवरी २००० में लागू की गई जनसंख्या नीति पूर्णत: लागू करें, क्योंकि मप्र में जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, पिछले १० वर्षों में वह २० प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत १७ प्रतिशत है। इस नीति में लक्ष्य तय किया गया था कि टोटल फर्टिलिटी रेट २.१ होना चाहिए, लेकिन यह नीति केवल कागजों तक सीमित रह गई।
इस नीति को लागू करने दो उच्च स्तरीय कमेटियां तथा जिला स्तर पर भी कमेटियां बनी लेकिन कमेटियां निष्क्रियता में पड़ी रही।