लगभग 50 वर्ष से कांग्रेस का नहीं बना है महापौर,भाजपा का रहा है ग्वालियर पर राज; कांग्रेस- भाजपा अब तक तय नहीं कर पाई महापौर प्रत्याशी
राजेश शुक्ला ।ग्वालियर ज़िले में निकाय चुनाव की हवा अब तक नहीं बन सकी है। जबकि पहले चरण में होने वाले नगर निगम चुनाव के नामांकन की तिथि 11 जून नज़दीक ही है। इसका कारण कांग्रेस और भाजपा में प्रत्याशियों को लेकर अंतर्कलह है और प्रत्येक वार्ड में कई लोगों की उम्मीदवारी आड़े आना बताया जा रहा है। एक-एक वार्ड से कांग्रेस और भाजपा के कई लोग अपनी-अपनी दावेदारी स्पष्ट रूप से बयान कर रहे हैं। कई वार्डों की तो यह हालत है कि एक वार्ड से आधा दर्जन लोग दोनों ही पार्टी से अपनी उम्मीदवारी ठोक रहे हैं।इधर कांग्रेस और भाजपा के आलाकमान अब तक पार्षद और महापौर प्रत्याशी की फ़ाइनल सूची जारी नहीं कर सके हैं।कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने byline24.com को बताया कि कल 9 जून को भोपाल में बैठक आयोजित होगी जिसमें महापौर प्रत्याशी का नाम फ़ाइनल किया जाएगा। कांग्रेस में महापौर पद के लिए चार नाम प्रमुख रूप से पैनल में देखे जा रहे हैं। जिसमें DCCअध्यक्ष देवेंद्र शर्मा की धर्मपत्नी रीमा शर्मा, पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक सतीश सिंह सिकरवार की धर्मपत्नी शोभा सिकरवार, शांति कुशवाहा और रश्मि पवार शर्मा का नाम शामिल हैं। कांग्रेस सूत्र की मानें तो शोभा सिकरवार के नाम पर कांग्रेस आला कमान और वरिष्ठ नेताओं ने अपनी हरी झंडी दे दी है, लेकिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष द्वारा विरोध किए जाने के बाद महापौर पद पर सहमति नहीं बनी तो टिकट रश्मि पवार शर्मा को भी मिलने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है।
कब करेंगे प्रचार उम्मीदवारों को हुई टेंशन
मध्य प्रदेश में नगर निगम चुनाव दो चरणों में होंगे।ग्वालियर ज़िले में कुल 171 वार्ड हैं।डबरा में कुल 30 वार्ड और आंतरी, भितरवार,बिलौआ,पिछोर और मोहना में क्रमशः 15-15 वार्ड है।ग्वालियर ज़िले में पहले चरण में छह जुलाई को निगम चुनाव सम्पन्न होंगे। नानामांकन का समय नज़दीक आ चुका है लेकिन अब तक ज़िले में लाउडस्पीकर और चुनाव प्रचार की शुरुआत देखने को नहीं मिल रही है। हालाँकि पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार ज़रूर देखा जा रहा है।
भाजपा में महापौर पद के लिए अब तक ठोस नाम नहीं आया सामने
कांग्रेस पार्टी के बनिस्बत भाजपा की स्थिति और ज़्यादा ख़राब है। महापौर पद के लिए अब तक दल में अंतिम नामों का पैनल देखने को नहीं मिल रहा है।यह स्थिति 66 वार्डों में देखी जा रही है।पाँपाँच शहरों के नाम फ़ाइनल नहीं किए जाने से पार्टी में असंतोष देखने को मिल रहा है वहीं जिनके टिकट कटने की संभावना है वे निर्दलीय खड़े होने की तैयारी कर चुके हैं। वरिष्ठ नेता ऐसे लोगों को अपने घर बुलाकर अन्य पदों पर एडजस्ट करने की बात कह रहे हैं।भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चुनाव लड़ने के लिए युवा नेताओं की बड़ी संख्या में सूची और बायोडाटा भाजपा कार्यालय में अब तक पहुँच रही है। चुनावी समर में खड़े होने के इच्छुक लोग पुरज़ोर अंदाज़ में अपनी जीत का आंकड़ा प्रस्तुत कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा पहले कांग्रेस की सूची का इंतज़ार कर रही है उसके बाद वह उम्मीदवारों की अपनी फ़ाइनल सूची को जारी करेगी।
पिछले 50 साल से कांग्रेस का नहीं बना महापौर
यहाँ बताना मुनासिब होगा कि ग्वालियर ज़िले में क़रीब 50 साल से कांग्रेस पार्टी का महापौर नहीं बन सका है। वरिष्ठ नेता डॉक्टर आरडी पापरीकर के बाद से ग्वालियर नगर निगम में भाजपा के ही महापौर बनते रहे हैं या यूँ कह लें कि इतने सालों में भाजपा का ही महापौर पद पर क़ब्ज़ा रहा है।2018 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी तब निकाय चुनाव संभव होते तो कांग्रेस का ही महापौर निर्वाचित होता लेकिन सत्ता परिवर्तन होने के बाद से अब तक कांग्रेस की स्थिति बहुत ज़्यादा ख़राब देखने को मिल रही है।कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अब पार्टी महापौर पद के लिए ऐसे प्रत्याशी को खड़ा करना चाहती है जिसकी पकड़ मज़बूत हो और जनाधार के चलते वह जनता के बीच में लोकप्रिय हो।कांग्रेस महापौर पद पर जीत के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
यह जानकारी आवश्यक है
नगर निगम ग्वालियर में कुल 10,68,267 मतदाता
जिले के सभी नगरीय निकायों में निवासरत 12 लाख 34 हजार 832 लोगों को मतदान का अधिकार है । इनमें 6 लाख 52 हजार 640 पुरूष और 5 लाख 82 हजार 81 महिला मतदाता हैं। नगरीय निकायों में निवासरत पुरूष एवं महिला मतदाताओं का अनुपात 891.8 है।