मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में लागू होगा OBC आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। यह आदेश आज सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर आरक्षण की स्थिति तय कर सरकार को चुनाव प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। सु्प्रीम कोर्ट के इस आदेश को शिवराज सरकार की जीत बताया जा रहा है। भाजपा ने इसकी अपनी जीत बताई है तो कांग्रेस ने कहा है कि यह कोई नहीं बात नहीं है बल्कि अदालत ने पुराने 14 फीसदी आरक्षण को रखा है।
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दे दी है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की विस्तृत रिपोर्ट को अदालत ने देखने के बाद यह फैसला किया है। अदालत ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। साथ ही एक सप्ताह के आधार पर ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं।
आज का दिन ऐतिहासिक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सत्यमेव जयेत। सत्य की जीत हुई है। आज का दिन ऐतिहासिक है। हमने यही कहा था कि हम चुनाव चाहते हैं और ओबीसी आरक्षण के साथ।चौहान ने कहा कि कांग्रेस ने पाप किया था। कांग्रेस के लोग ही सुप्रीम कोर्ट गए थे। उसके कारण ही ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव होंगे। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने हर संभव प्रयास किया और ओबीसी कमीशन बनाया। उसने दोर कर व्यापक सर्वे किया और तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट बनाई। वह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की।
सीएम चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निकाय वार सर्वे रिपोर्ट मांगी और जब उसे पेश की तो कांग्रेस के लोग खुशी मनाते रहे कि अब तो ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव होंगे तो भाजपा को कटघरे में खड़ा करने का मौका तलाशते रहे। चौहान ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हैं और अब चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। कांग्रेस और कमलनाथ हमेश षड़यंत्र करते रहे। कभी ओबीसी को न्याय देने की उनकी नीयत नहीं थी। कमलना्थ पर पलटवार किया कि जब उन्होंने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी दिया था तो तब अदालत में क्यों सही स्थिति नहीं रखी जिससे कोर्ट ने स्टे दे दिया था। अब ओबीसी को न्याय मिला है।
अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का सरकार ने गठन किया था। आयोग ने तीन महीने के भीतर अपनी तैयारी कर वार्ड के मुताबिक ओबीसी की स्थिति का पता लगाकर रिपोर्ट तैयार की। 600 पेज के साथ आयोग ने यह रिपोर्ट बनाई। इसमें सभी वार्डों में ओबीसी की आबादी को बताया गया और उसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नगरीय निकाय चुनाव में ऐतिहासिक निर्णय दिया है। सर्वोच्च न्याय का आभार माना। सीएम का संकल्प था कि स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होगा। सरकार के पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर जो फैसला सुनाया है, वह स्वागत योग्य है। कांग्रेस इस चुनाव को रोकने का जो भी प्रयास किया था, वह सफल नहीं हो सके। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कई जगह 27 से भी ज्यादा ओबीसी को आरक्षण मिलने की संभावना थी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सही स्थिति नहीं रखी गई। उन्होंने कहा कि ओबीसी को वास्तव में केवल 14 फीसदी ही आरक्षण मिलेगा जबकि इस वर्ग की आबादी 56 फीसदी है। सरकार ने सही स्थिति कोर्ट में नहीं रखी और इस कारण ओबीसी वर्ग के साथ घोर अन्याय हुआ है।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की सत्यता को समझकर फैसला सुनाया है। यह भाजपा की जीत नहीं है बल्कि जो पुराना आरक्षण 14 फीसदी को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। मगर ओबीसी के आरक्षण के बिना चुनाव नहीं होना यह मध्य प्रदेश के ओबीसी वर्ग की जीत है।