मप्र में तीस हज़ार अधिकारी-कर्मचारी हुए बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त, 2002 से नहीं बना नियम
अब तक राज्य सरकार नहीं बना पाई है नए नियम
भोपाल। मध्यप्रदेश में अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति बीते सालों से बंद है। अधिकारी-कर्मचारी सालों से पदोन्नति की आस लगाए बैठे हैं लेकिन राज्य सरकार अब तक इसके लिए नए नियम नहीं बना पाई है। पदोन्नति नियम 2002 निरस्त होने के बाद सरकार को नए नियम बनाना है। इसके लिए गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में गठित मंत्रिपरिषद समिति की तीन बार बैठक हो चुकी है। आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी संगठनों से सुझाव भी लिए जा चुके हैं। अब इन्हें अंतिम रूप देकर कैबिनेट के समय प्रस्तुत किया जाना है। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने समिति की अगले माह बैठक बुलाने का प्रस्ताव भेजा है। शिवराज सरकार पिछले कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला के माध्यम से नियम का प्रारूप भी तैयार करा चुकी है। अब मंत्रिपरिषद की समिति बनाकर नियमों को अंतिम रूप देने का काम किया जा रहा है। इसके लिए अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग और सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनके सुझाव लिए जा चुके हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार ने बताया कि समिति की बैठक जल्द होगी। इसके बाद नियम के प्रारूप को कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। मालूम हो कि प्रदेश के पदोन्नति नियम 2002 को उच्च न्यायालय जबलपुर ने वर्ष 2016 में निरस्त कर दिया था। सरकार ने इस आदेश के विरुद्ध अपील की तो उच्चतम न्यायालय ने अंतिम निर्णय होने तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए। इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नतियां नहीं हुई हैं। इस बीच करीब 35 हजार कर्मचारी पदोन्नत हुए बगैर सेवानिवृत्त हो गए।