मप्र की 3 बिजली कंपनियों को बड़ी राहत, 856.13 करोड़ सेवा शुल्क वसूली का आदेश निरस्त
-ट्रिब्यूनल ने कहा- जब मुख्य सेवा को जीएसटी से छूट तो फिर पूरक सेवाएं इसके दायरे में कैसे आ सकती
भोपाल। केंद्रीय आबकारी एवं सेवाकर ट्रिब्यूनल ने मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सहित प्रदेश की तीन बिजली कंपनियों को बड़ी देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
सीजीएसटी कमिश्नर ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के बदले ली जाने वाली राशि को कंपनियों की आय मानते हुए करीब 856.13 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली निकाल दी थी। इसमें मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर 376 करोड़ रुपये, पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी पर 293.02 करोड़ रुपये और पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी पर 187.11 करोड़ रुपये की वसूली निकाली गई थी।
सीजीएसटी कमिश्नर ने बिजली कंपनियों पर जीएसटी और जीएसटी की राशि पर सौ प्रतिशत पेनल्टी लगाते हुए टैक्स की गणना की थी। कमिश्नर के फैसले को चुनौती देते हुए बिजली कंपनियों ने एडवोकेट मनोज मुंशी के माध्यम से याचिका दायर की, लेकिन अपीलेंट कोर्ट ने टैक्स और पेनल्टी की राशि की गणना को सही ठहराते हुए बिजली वितरण कंपनियों को आदेश दिया कि वे कर की राशि का भुगतान करें।
एडवोकेट मुंशी ने बताया कि तीनों बिजली कंपनियों ने इस फैसले खिलाफ केंद्रीय आबकारी एवं सेवा कर ट्रिब्यूनल में अपील की। बिजली कंपनियों की तरफ से हमने तर्क रखा कि बिजली कंपनियों द्वारा प्रदाय की जाने वाली मुख्य सेवा को जीएसटी से छूट दी गई है तो फिर उससे जुड़ी पूरक सेवाओं को जीएसटी के दायर में कैसे शामिल किया जा सकता है। ट्रिब्यूलन ने तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जो अब जारी हुआ है।
बिजली बिल की राशि ही कर के दायरे से बाहर
ट्रिब्यूनल ने माना कि जीएसटी एक्ट की धारा 8 में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी मुख्य सेवा को जीएसटी से छूट दी गई है तो उसकी पूरक या सहायक सेवाओं को जीएसटी के दायरे में नहीं रखा जा सकता। बिजली बिल की राशि ही कर के दायरे से बाहर है तो उसमें जुड़ी अन्य सेवाओं से कर नहीं वसूला जा सकता। ट्रिब्यूनल ने सीजीएसटी कमिश्नर के 856.13 करोड़ रुपये वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया है।
गौरतलब है कि बिजली कंपनियां बिजली बिल विलंब से भरने पर पेनल्टी के रूप मे, मीटर किराए के रूप में, बिजली कनेक्शन के नाम पर, बिजली कनेक्शन जोडऩे के नाम पर, दूर से बिजली लाइन घर-फैक्ट्री तक लाने के एवज में रकम वसूलती है। कमिश्नर ने इन सेवाओं के बदले लिए जाने वाले शुल्क को जीएसटी के दायरे में शामिल करते हुए वसूली निकाली थी।
एडवोकेट मुंशी ने कहा कि ट्रिब्यूनल के इस फैसले का फायदा अन्य क्षेत्र की कंपनियों को भी होगा। 17 पेज के फैसले में ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी कंपनी का मुख्य कार्य जीएसटी के दायरे में से बाहर हैं तो उसकी पूरक सेवाएं जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं की जा सकती।