केरल: पुरस्कृत कार्टून के ज़रिये गाय को भारत दर्शाने पर विवाद, हाईकोर्ट में याचिका दायर
केरल हाईकोर्ट में केरल ललितकला अकादमी के खिलाफ कथित तौर पर एक विवादास्पद कार्टून को लेकर याचिका दायर की गई है. दरअसल कोविड-19 ग्लोबल मेडिकल समिट शीर्षक से इस कार्टून के जरिये भारत को ‘गाय’ के तौर पर दर्शाया गया है और इसे ललितकला अकादमी ने पुरस्कृत भी किया है. कार्टून में इंग्लैंड, चीन और अमेरिका को इंसानों के रूप में दिखाया गया है. इस कार्टून को केरल कार्टून अकादमी के सचिव अनूप राधाकृष्णन द्वारा तैयार किया गया है.
केरल ललितकला अकादमी को 1962 में स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला और ग्राफिक सहित विजुअल आर्ट का संरक्षण और उनका प्रचार करना है. यह केरल सरकार का स्वायत्त सांस्कृतिक संगठन है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अकादमी के सचिव ने 2019 और 2020 के लिए पुरस्कारों की घोषणा की है.
याचिकाकर्ता के मुताबिक, सभी पुरस्कार विजेता कार्टूनों में भारत का खराब चित्रण किया गया है और वास्तविकता का विकृत वर्जन पेश किया है.
याचिकाकर्ता ने इस बात की भी निंदा की कि अकादमी ने इस कार्टून का खास तौर पर उल्लेख किया और इसे मानद पुरस्कार के साथ-साथ 25,000 रुपये की ईमानी राशि भी प्रदान की गई.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि प्रथमदृष्टया कार्टून भारत को नीचा दिखाता है और अपमानित करता है, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में क्योंकि यह राष्ट्रविरोधी कलात्मक तत्वों से स्पष्ट है. यह ध्यान देने योग्य है कि पूरी दुनिया इस महामारी के बीच बहुत ही असाधारण स्थिति का सामना कर रही है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह कार्टून बहुत ही खराब है.
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, युवा मोर्चा के राज्य सचिव बीजी विष्णु ने कार्टून को लेकर डीजीपी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कार्टूनिस्ट और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग देश का अपमान करने का प्रयास कर रहे हैं.
यह शिकायत कार्टूनिस्ट अनूप राधाकृष्णन और ललितकला अकादमी के सचिव नेमोम पुष्पराज के खिलाफ दर्ज की गई है.
केरल ललितकला अकादमी जून 2019 में भी इसी तरह के विवाद की स्थिति में आ गई थी. उस समय बिशप फ्रैंको मुलक्कल को मुर्गे की तरह दिखाने वाले कार्टून को पुरस्कृत किया गया था.
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्टून से विवाद भी हुआ, क्योंकि कई लोगों ने दावा किया कि यह कार्टून अश्लील है और इसके जरिये ईसाई समुदाय की आलोचना की गई है.
संगठन के अध्यक्ष पुष्पराज ने कहा था, जो भी कार्टून के जरिये दर्शाया गया है, वह शक्ति का प्रतीक है और यह ईसाई धर्म का प्रतीक नहीं है.
उन्होंने आगे कहा था, ‘पिछली बार मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की आलोचना करने वाले कार्टून को यह पुरस्कार दिया गया था. हमने उस निर्णय को भी बदलने का कभी प्रयास नहीं किया था.’
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