एनसीईआरटी ने ट्रांसजेंडर्स बच्चों के लिए तैयार नियमावली को अपनी वेबसाइट से हटाया
एनसीईआरटी में ‘जेंडर स्टडीज’ विभाग द्वारा प्रकाशित ‘इंक्लूजन आफ ट्रांसजेंडर चिल्ड्रेन इन स्कूल एजुकेशन: कन्सर्न्स एंड रोड मैप’ शीर्षक वाली नियमावली का उद्देश्य शिक्षकों को एलजीबीटीक्यू समुदायों के प्रति शिक्षित करने और संवेदनशील बनाना था.
यह स्कूलों को ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए संवेदनशील और समावेशी बनाने के लिए व्यवहारों और रणनीतियों पर प्रकाश डालता है. इन रणनीतियों में लैंगिक रूप से तटस्थ शौचालय और पोशाक का प्रावधान, गैर-शिक्षण कर्मचारियों को संवेदनशील बनाना, ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को परिसर में बोलने के लिए आमंत्रित करना, आदि शामिल है.
एनसीपीसीआर ने कहा था कि एनसीईआरटी की लैंगिक रूप से तटस्थ शिक्षक प्रशिक्षण नियमावली विविध विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को समान अधिकारों से वंचित करेगी. आयोग ने एनसीईआरटी को इसमें ‘विसंगतियों’ को सुधारने के लिए कहा था.
एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में एनसीईआरटी को बताया कि शिकायतकर्ता ने प्रस्तावों का विरोध किया है और एनसीईआरटी को पैनल के सदस्यों की पृष्ठभूमि को सत्यापित करने का निर्देश दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वैसे तो एनसीईआरटी की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली, लेकिन सूत्रों ने कहा कि एनसीईआरटी ने शिक्षा मंत्रालय को बताया था कि दस्तावेज की अभी भी समीक्षा की जानी है और इसे अनजाने में वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था.
इस नियमावली को तैयार करने वाली पैनल के एक प्रमुख सदस्य एल. रामाकृष्णनन ने कहा कि एनसीपीसीआर ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताई है, वो ये दर्शाता है कि सुझावों को ‘गलत मतलब’ निकाला गया है. रामकृष्णन, जो एनजीओ सॉलिडेरिटी एंड एक्शन अगेंस्ट द एचआईवी इंफेक्शन इन इंडिया (साथी) के उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि वह रिपोर्ट पर कायम हैं.
वहीं, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि था कि उन्हें इस मामले में शिकायत करने वाले का नाम याद नहीं है. हालांकि, लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी नामक एक संगठन, जो ‘राष्ट्रीय हित में कानूनी एक्टिविज्म’ करने का दावा करता है, ने ट्विटर पर कहा था कि शिकायत ‘कार्यकर्ताओं के एक समूह/प्रो बोनो वकीलों’ द्वारा की गई है.
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