यज्ञ में गाय का घी डालने से होती है बारिश, पंचगव्य से दूर होती हैं गंभीर बीमारियां: हाई कोर्ट

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने वाला क़ानून बने, यह मौलिक अधिकार में शामिल हो

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोहत्या के एक मामले की सुनवाई करते हुए बीते बुधवार को कहा कि संसद को गाय को ‘राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने वाला कानून बनाना चाहिए और गायों को मौलिक अधिकारों के दायरे में शामिल करना चाहिए. जज शेखर कुमार यादव ने याचिकाकर्ता जावेद की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. जावेद पर आरोप है कि उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर वादी खिलेंद्र सिंह की गाय चुराई और उसका वध कर दिया. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि जावेद निर्दोष हैं और उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उनके खिलाफ पुलिस से मिलकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है. जावेद आठ मार्च से जेल में बंद हैं.

शासकीय अधिवक्ता ने जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं और अभियुक्त को टॉर्च की रोशनी में देखा और पहचाना गया. उन्होंने कहा कि अभियुक्त जावेद, सह अभियुक्त शुएब, रेहान, अरकान और दो-तीन अज्ञात लोगों को गाय को काटकर मांस इकट्ठा करते हुए देखा गया. ये लोग अपनी मोटरसाइकिल मौके पर छोड़कर भाग गए थे.बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, गोरक्षा का कार्य केवल एक धर्म संप्रदाय का नहीं है, गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का है चाहे वह किसी भी धर्म का हो.

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा.’ जज ने दावा किया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अलग-अलग समुदायों के लोग रहते हैं, लेकिन वे सभी देश के बारे में एक ही तरह सोचते हैं.

जज ने कहा, ‘ऐसे में जब हर कोई भारत को एकजुट करने और उसकी आस्था का समर्थन करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है, तो कुछ लोग जिनकी आस्था और विश्वास देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है, वे देश में इस तरह की बात करके ही देश को कमजोर करते हैं. उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए आवेदक के विरूद्ध प्रथमदृष्टया अपराध सिद्ध होता है.’

अदालत ने आगे कहा, ‘आरोपी को जमानत देने से सौहार्द बिगड़ सकता है. आवेदक का यह पहला अपराध नहीं है. इस अपराध से पहले भी उसने गोहत्या की थी, जिससे समाज में सौहार्द बिगड़ गया था. अगर जमानत पर रिहा हुआ तो आरोपी फिर से वही अपराध करेगा.’

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि राज्य में गोशालाओं को ठीक से नहीं रखा जा रहा है. सरकार गोशालाओं का निर्माण भी करवाती है, लेकिन जिन लोगों को गाय की देखभाल करनी होती है, वे उनकी देखभाल नहीं करते हैं. इसी तरह से निजी गोशालाएं भी आज एक दिखावा बनकर रह गई हैं, जिसमें लोग गाय को बढ़ावा देने के नाम पर जनता से चंदा और सरकार से मदद लेते हैं, लेकिन अपने स्वार्थ के लिए खर्च करते हैं, गाय की परवाह नहीं करते हैं.

27 Replies to “यज्ञ में गाय का घी डालने से होती है बारिश, पंचगव्य से दूर होती हैं गंभीर बीमारियां: हाई कोर्ट”

Comments are closed.