पीड़िता कोर्ट में मुकरी, फिर भी गैंगरेप के दोषियों को मिली 20-20 साल की सजा
बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक महिला के साथ गैंगरेप मामले में तीन पुरुषों को दोषी मानते हुए 20 साल की सजा सुनाई है। ट्रालय के दौरान महिला गवाही में गैंगरेप से मुकर गई लेकिन कोर्ट ने उसके इस बयान को नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि महिला ने पहले आरोपियों की तरफ से धमकियां मिलने की बात कही थी, उसके बाद उसका यह बयान आया है इसलिए इसे अंकित नहीं किया जा सकता है।
मामला थाना सुभाष नगर अंतर्गत चौबारी गांव के से जुड़ा है। तीन पुरुषों को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई गई है। पीड़िता ने प्राथमिकी में कहा था कि 28 अक्टूबर 2014 को वह जंगल में घास काटने गई थी। महारो नाले के पास मौजूद चौबारी गांव के चमन (25), ओमवीर: (22) और अमित (22) ने उससे गाली-गलौज की और तमंचे के बल पर पहले चमन ने और फिर ओमवीर और अमित ने उससे बलात्कार किया। कोर्ट में चार महीने बाद बयान के दौरान महिला ने कहा कि रेप के समय वह होश में नहीं थी, इसलिए वह नहीं पहचान सकती कि उसके साथ किन लोगों ने रेप किया।
अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में कुल चार गवाह पेश किए गए। इस पूरे मुकदमे में तथ्य की साक्षी केवल पीड़िता ही थी। कोर्ट ने कहा, ‘आरोपी के पक्ष में दिए गए बाद में इस बयान के चलते पहले के बयान को नकारा नहीं जा सकता है। उसने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में रेप की बात कही, मैजिस्ट्रेट के सामने बयान में रेप की बात कही। जिरह के दौरान ही उसने अपना बयान बदला। उसने पहले स्पष्ट रूप से कहा था कि पुरुषों ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने किसी को बताया तो वह उसे मार देगा।’
कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश निर्दोश कुमार ने कई मामलों और विधि आयोग की टिप्पणियों का उल्लेख किया कि क्यों गवाह मुकर जाते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में गवाहों को धमकियां दी जाती हैं जिसके कारण गवाह मुकर जाते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि वह एक ग्रामीण क्षेत्र की विधवा है और उसके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं है। ऐसे में आरोपी के लिए उस पर पीछे हटने के लिए दबाव बनाना आसान होता है।” अदालत ने कहा कि इसका सबूत है कि गरीब विधवा महिला का गनपॉइंट पर रेप किया गया। तीनों अभियुक्तों को 20-20 साल कैद की सजा सुनाई जाती है। इसके अलावा प्रत्येक दोषी पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने जुर्माने की राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया। अगर जुर्माने की राशि पीड़िता को नहीं दी जाती है तो सजा एक-एक साल और बढ़ जाएगी।
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