येदियुरप्पा के इस्तीफे ने शिवराज के लिए बजा दी है खतरने की घंटी !
नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से बीएस येदियुरप्पा ने कल यानि सोमवार को इस्तीफा दे दिया। वो कर्नाटक ही नहीं दक्षिण भारत के राज्यों में भी लोकप्रिय नेता हैं। उनकी राज्य में काफी पकड़ भी है, ऐसे में सवाल उठता है कि यह जोखिम भरा हो सकता है यह जानते हुए भी बीजेपी की ओर से ऐसा क्यों किया गया। साथ ही दूसरा सवाल जो और भी महत्वपूर्ण है कि आखिर इसके लिए येदियुरप्पा मान कैसे गए। लिंगायत समुदाय के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे लेख में वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का कहना है कि लिंगायत जो राज्य की आबादी का 17त्न है, दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है – दलित लगभग 23त्न हैं और भाजपा का मुख्य आधार रहे हैं। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। नीरजा चौधरी का कहना है कि इस्तीफे ने दो दिलचस्प सवाल खड़े किए हैं। भाजपा आलाकमान ने येदियुरप्पा से इस्तीफा क्यों लिया। अप्रैल-मई 2023 में होने वाले अगले राज्य चुनावों तक भाजपा उनके साथ बनी रह सकती थी उसके बाद भी ऐसा किया जा सकता था।
दूसरा सवाल वो राजी कैसे हुए वो इस स्थिति में हैं कि बीजेपी को राज्य में नुकसान पहुंचा सकते हैं। पहले सवाल का जवाब है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की हर स्तर पर नए चेहरों और टीमों को जगह देने की योजना का हिस्सा है। दूसरे सवाल का संक्षिप्त उत्तर यह है कि चुनौती देने के लिए बीएस येदियुरप्पा में अब वो पहले जैसी बात नहीं है।
भाजपा नेतृत्व येदियुरप्पा के साथ-साथ अन्य राज्यों के नेताओं को बदलने के मूड में है जिनका एक अपना कद है और जो अटल-आडवाणी युग के नेता हैं। मौजूदा नेतृत्व केंद्र और राज्यों में अपनी टीम बनाना चाहेगा। दिल्ली में हाल ही में हुए कैबिनेट फेरबदल से इसके स्पष्ट राजनीतिक संदेश थे। कर्नाटक में चुनाव दूर है और बीजेपी की ओर से कोशिश थी कि येदियुरप्पा को इस फैसले के लिए राजी किया जाए। येदियुरप्पा के जाने के बाद भी लिंगायत समुदाय पार्टी के साथ जुड़ा रह सकता है यदि वो स्वेच्छा से इस्तीफे के लिए राजी हो जाएं।
दो साल पहले जब सरकार बनी थी तो एक बात तो तय थी कि आने वाले वक्त में येदियुरप्पा किसी और के लिए जगह बनाएंगे। पिछले कुछ महीनों में पार्टी के भीतर उनकी लगातार आलोचना हो रही थी। कई लोगों ने उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र की सरकार में हस्तक्षेप की शिकायत की जिन्हें सुपर सीएम भी कहा जाता था।ऐसा हो सकता है कि एक समझौते के तहत ऐसा हुआ हो और आने वाले दिनों में वो सामने आएगा। उनके बेटे की प्रभावशाली भूमिका रहे इसके लिए भी उन्होंने कोशिश की होगी।
येदियुरप्पा का इस्तीफा किसके लिए खतरे का संकेत
नीरजा चौधरी का कहना है कि येदियुरप्पा के बाहर निकलने का बड़ा संदेश क्या है, भले ही यह कर्नाटक की राजनीति के एक युग का समापन है। क्या यह मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए भी चेतावनी की घंटी है। वो राज्य में मजबूत और अकेले पुराने बीजेपी के नेता हैं।
14 Replies to “येदियुरप्पा के इस्तीफे ने शिवराज के लिए बजा दी है खतरने की घंटी !”
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