शिवराज मामा के अनाथ भांजे-भांजियों का क्या होगा
कोरोना वारियर्स के परिजनों को भी नहीं मिलेगा मुआवजा
ग्वालियर। कोरोना काल में अपने माता-पिताओं को खो चुके उन अनाथ बच्चों का क्या होगा जिनके लिए शिवराज सरकार ने पढ़ाई का खर्च उठाने और उन्हें पेंशन देने की घोषणा की थी। सवाल अनाथ बच्चों का ही नहीं उन लोगों के परिजनों का भी है जिन्होंने कोरोना में अपनों को खोया है। दरअसल कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले कोरोना वारियर्स के लिए शिवराज सरकार ने तमाम घोषणाएं की थीं। कोरोना वारियर्स हों या कोरोना वायरस से जान गंवाने वाला सामान्य मरीज, उनके परिजनों को ना तो आर्थिक सहायता मिल सकेगी और ना ही शिवराज सरकार की घोषणाओं का लाभ। आर्थिक सहायता और मुख्यमंत्री की घोषणा का लाभ इसलिए मिलना संभव नहीं है क्योंकि मृतक के मृत्यु प्रमाण पत्र में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि मरने वाले की मौत का कारण कोरोना संक्रमण है। दूसरी लहर में प्रदेश के कई पत्रकारों ने भी संक्रमण से अपनी जान गंवाई और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्रकारों को कोरोना वारियर्स मानते हुए उनके निधन पर परिजनों को 51 लाख रुपए की मदद की घोषणा की थी।
माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने ग्वालियर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस पत्र को भी पेश किया जिसमें साफ उल्लेख है कि मृत्यु संबंधी रिकॉर्ड के रजिस्टर में मौत के कारण की बीमारी का उल्लेख नहीं किया जाए। इस पत्र से साफ हो गया है कि ना तो मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोरोना से मौत की बात दर्ज होगी और ना ही सरकारी मृत्यु के आंकड़ों में इसका उल्लेख होगा।
दरअसल यह पत्र आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय मध्य प्रदेश के आयुक्त अभिषेक सिंह ने प्रदेश के सभी जिला रजिस्ट्रार, जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय को भेजा है। 1 जून 2021 को जारी इस पत्र में इस बाबत विशेष निर्देश दिए गए हैं कि रजिस्टर एवं मृत्यु प्रमाण पत्र में कहीं कोरोना का उल्लेख ना हो।
अब इस पत्र से यह स्पष्ट हो गया है कि जब मृत्यु प्रमाण पत्र अथवा मृत्यु संबंधी आंकड़ों में कोरोना से मौत का उल्लेेख नहीं होगा तो कोरोना से मरने वालों के परिजनों के पास क्या सबूत होगा कि उनका अपना कोरोना संक्रमण से मृत हुआ है।
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