केरल: बलात्कार के आरोपी बिशप का विरोध करने वाली सिस्टर लूसी को किया बर्खास्त

नई दिल्ली। केरल में बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाली सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को अपना कॉन्वेंट खाली करने का आदेश दिया गया है. यह कदम अनुशासनात्मक आधार पर उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ कैथोलिक चर्च में कानूनी फोरम पर उनकी अपील खारिज होने के बाद आया है.

केरल में फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कांग्रेगेशन (एफसीसी) के सुपीरियर जनरल ने पत्र में कहा, आपकी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए कैथोलिक कानूनी प्रणाली के भीतर आपके लिए कोई और कानूनी उपाय उपलब्ध नहीं है. एफसीसी के सदस्य के रूप में बने रहने का आपका अधिकार अब निश्चित रूप से समाप्त हो गया है.ज््र

इस पत्र में कहा गया, अब आपके लिए किसी भी फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कॉन्वेंट में रहना गैर कानूनी है. इससे पहले बताया गया था कि एफसीसी द्वारा सिस्टर को निष्कासित करने के फैसले के विरोध में उसकी एक और अपील को वैटिकन ने खारिज कर दिया था.

चर्च के आंतरिक कम्युनिकेशन के मुताबिक, कैथोलिक चर्च में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण अपोस्टलिका सिग्नेटुरा ने सदियों पुराने कांग्रेगेशन से निष्कासित करने की नन की तीसरी अपील भी खारिज कर दी थी.

कांग्रेगेशन की ओर से कहा गया, लूसी कलाप्पुरा की अपील को अपोस्टलिका सिग्नेटुरा ने खारिज कर दिया और बर्खास्तगी की पुष्टि की.

बता दें कि जनवरी 2019 में कलाप्पुरा ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच एक साथी नन का बलात्कार करने का आरोप है.

अक्टूबर 2019 में एफसीसी ने उन्हें इस आधार पर बर्खास्त किया कि वह अपनी जीवनशैली में नन के रूप में अपनी प्रतिज्ञा का उल्लंघनज् कर रही थीं. उस समय एफसीसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्हें वाहन चलाने, कविताएं लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने और रोमन कैथोलिक बिशप मुलक्कल पर लगातार बलात्कार और उत्पीडऩ का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन करने सहित कई कारणों के लिए बर्खास्त किया गया.

भारत और वैटिकन में कैथोलिक चर्च में उनकी बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली उनकी कई अपीलों को बाद में खारिज कर दिया गया था. उनकी अपील खारिज होने के बाद कलाप्पुरा ने कहा था कि वह कॉन्वेंट नहीं छोड़ेंगी और इसका फैसला अदालत करेगी.

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