याचिका: स्वस्थ बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल करना मानव वध के सामान

नई दिल्ली। हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका में कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार टीके कोवैक्सीन का दो से 18 वर्ष आयुवर्ग पर हो रहे दूसरे एवं तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को रोकने का अनुरोध किया गया है। भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा भारत बायोटेक को बच्चों पर टीके का ट्रायल करने के लिए दी गई अनुमति रद्द करने के लिए दायर याचिका में यह आवेदन दाखिल किया गया है। याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने अपने आवेदन में दावा किया है कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है और केंद्र एवं भारत बायोटेक को नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई जून महीने में शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि चूंकि अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान फैसले पर रोक नहीं लगाई, इसलिए सरकार ट्रायल पर आगे बढ़ रही है। संजीव कुमार ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होनी है, ऐसी स्थिति में सरकार कह सकती है कि ट्रायल शुरू हो चुके हैं और ऐसे में डीसीजीआई की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका अब निष्प्रभावी हो गई है। मुख्य याचिका में आशंका जताई है कि ट्रायल में शामिल होने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक सेहत पर टीके के ट्रायल का दुष्प्रभाव पड़ सकता है। वहीं स्वस्थ बच्चों पर ट्रायल मानव वध के सामान है और ट्रायल में शामिल किसी बच्चे के शांतिपूर्ण और आनंदपूर्ण जीवन में किसी तरह का खलल पडऩे पर ऐसे ट्रायल में शामिल या अनुमति देने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए।

2 Replies to “याचिका: स्वस्थ बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल करना मानव वध के सामान”

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