गर्मी न सताए: एसी-कूलर के साथ भगवान को चंदन का लेप, आम का पना और लग रहा रायते का भोग
ग्वालियर के सभी मंदिरों में मौसम को देखते हुए बदला प्रसाद का मेन्यू
राजेश शुक्ला, ग्वालियर। ईश्वर तो सिर्फ भावना के भूखे होते हैं। भक्त उनकी सच्ची आराधना करें तो वे प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद देते हैं। भगवान पर किसी मौसम का प्रभाव नहीं पड़ता है। यद्यपि भक्त अपने इष्ट के लिए भौतिक सुख-सुविधाएं मुहैया कराने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। मई माह का मौसम है। कभी बारिश तो कभी धूप के प्रभाव से गर्मी और उमस देखी जा रही है। मप्र के ग्वालियर जिले में लॉकडाउन की पीरियड है। सभी मंदिर कोविड प्रोटोकाल के कारण भक्तों के लिए बंद हैं। मुुख्य मंदिरों में प्रबंधन ने देवी-देवताओं के लिए गर्मी को देखते हुए एसी और कूलर लगाए हैं। इतना ही नहीं मौसम को देखते हुए उनके भोग का मेन्यू भी चेंज कर दिया है।
शहर के सनातन धर्म मंदिर रोड स्थित अचलेश्वर मंदिर प्रबंधन ने बाबा को गर्मी न सताए इसके लिए कूलर लगाया है। वहीं मटका भी रखा है। दोपहर को भोलेनाथ को फलों का भोग लगाना शुरू कर दिया गया है। वहीं सर्दी में जहां बाबा को पक्के (पूड़ी-सब्जी)भोजन का भोग लगता है अब गर्मी में कच्चे भोजन का भोग जिसमें ठंडा रायता, रोटी, ठंडाई का भोग लग रहा है। अचलेश्वर मंदिर न्यास के सूचना सचिव वैभव सिंघल ने बताया कि अचलनाथ बाबा का भोग गर्मी के हिसाब से हमने बदल दिया है। विकास नगर स्थित सांईं बाबा मंदिर में भी कूलर शुरू कर दिया है।
सांईं बाबा को भोग में खरबूजे, रायता आम का पना और कच्चा भोजन का प्रसाद चढ़ाया जा रहा है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष योगेश शुक्ला और सचिव कमल शर्मा ने बताते हैं कि यहां सात पुजारी है जिसमें से सिर्फ पुजारी से ही काम लिया जा रहा है। तिघरा रोड स्थित गुप्तेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी सोनू शर्मा ने कहा कि सुबह बाबा का हम फूलों से श्रृंगार करते हैं और उन्हें फलों का भोग लगाया जा रहा है।
वहीं फालका बाजार स्थित राम मंदिर, शब्द प्रताप स्थित भूतेश्वर मंदिर, सांतऊ स्थित शीतला माता मंदिर, महलगांव स्थित करौली माता का मंदिर, खेड़ापति के हनुमान मंदिर समेत कई मंदिरों में देवी-देवताओं को प्रसाद में सत्तू तथा ठंडे फलों को अर्पण किया जा रहा है। उन्हें सूती वस्त्रों की पोशाकें पहनाई जा रहीं हैं।
यह भी खास
– कपूर मिला कर चंदन का लेप भगवान को किया जा रहा है।
-खस के इत्र से मालिश की जा रही है।
-भगवान को सत्तू के अलावा श्रीखंड, बेल की ठंडाई का प्रसाद लगाया जा रहा है।
-पना व सत्तू का प्रसाद लगाया समय-समय पर लगाया जा रहा है।
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