ग्रीष्मकालीन अवकाश को लेकर बार-बेंच में तकरार, फिलहाल 2 से 30 जून से ही रहेगा

भोपाल । न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश को लेकर बार और बेंच के बीच एक बार फिर तकरार की स्थिति निर्मित हो गई है। न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश 2 जून से शुरू होकर 30 जून तक रहेगा। हाई कोर्ट जबलपुर से इसके आदेश जारी भी हो गए हैं। इधर अधिवक्ता मांग कर रहे हैं कि न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश पहले की तरह 13 मई से 15 जून तक रखा जाए।
इंदौर अभिभाषक संघ ने तो साधारण सभा बुलाकर सर्वानुमति से इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित कर जबलपुर भेज दिया है।

हालांकि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं आया है। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि फिलहाल तो न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश 2 जून से ही शुरू होगा। इधर ग्वालियर अभिभाषक संघ का भी रुख़ स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि न्यायालयों में वर्षों पुरानी परंपरा के मुताबिक 13 मई के आसपास एक माह के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश रहता था। इस दौरान आपराधिक प्रकरणों के अलावा सिर्फ अर्जेन्ट मामले ही सुने जाते थे। सिविल मामलों की नियमित सुनवाई पूरी तरह से बंद रहती है। हालांकि आपराधिक प्रकरण भी इक्का-दुक्का ही सुनवाई के लिए लगते थे।
हाई और जिला कोर्ट में 2 से 30 जून तक अवकाश
हाई कोर्ट ने इस वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश में आंशिक रूप से बदलाव किया है। हाई कोर्ट में 2 जून से 30 जून तक और जिला न्यायालयों में पहले की तरह 13 मई से 15 जून तक अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन अधिवक्ताओं ने मांग की कि दोनों न्यायालयों में एक जैसा अवकाश घोषित किया जाए, क्योंकि अलग-अलग अवकाश की तिथियां होने से अधिवक्ता अवकाश का आनंद ही नहीं ले पाएंगे। इस पर हाई कोर्ट ने जिला न्यायालय में अवकाश की तिथि में बदलाव करते हुए इसे भी 2 जून से 30 जून कर दिया।
इधर, अधिवक्ताओं का कहना है कि सर्वाधिक गर्मी तो मई माह में रहती है इसलिए ग्रीष्मकालीन अवकाश भी मई में ही रहना चाहिए। जून में वर्षाकाल शुरू हो जाता है और बच्चों के स्कूल भी खुलने लगते हैं। ऐसे में अधिवक्ता चाहकर भी ग्रीष्मकालीन अवकाश में परिवार के साथ घूमने नहीं जा सकते। अधिवक्ताओं की मांग है कि अवकाश की तारीखों में बदलाव किया जाए और इसे पहले की तरह मई के दूसरे और जून के पहले पखवाड़े में रखा जाए। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय जबलपुर से ही हो सकेगा।