किराएदार कोर्ट लगना शुरू होंगी: अफसरों की मप्र किराएदारी अधिनियम 2022 के ड्राफ्ट में रूचि नहीं, 52 जिलों से अधिकारियों ने एक भी सुझाव नहीं दिया

भोपाल। भूस्वामी-किराएदार के बढ़ते विवादों के बीच जल्द ही प्रदेशभर में किराएदार कोर्ट लगना शुरू होगी। जिलास्तर पर किराया प्राधिकरण का गठन होगा, जिसमें अपर कलक्टर स्तर के अफसर प्राधिकारी रहेंगे। किराएदारी कोर्ट में जिला जज स्तर के न्यायाधीश को किराया अधिकरण नियुक्त किया जाएगा। लेकिन जिलों के अफसरों की मप्र किराएदारी अधिनियम 2022 के ड्राफ्ट में रूचि नहीं है। शायद यही वजह है की सरकार के निर्देश के बाद भी अभी तक किसी भी जिले के अधिकारी ने एक भी सुझाव नहीं भेजा है।गौरतलब है कि किराएदारों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनेगा, जिस पर किराएना में अपलोड किए जाएंगे। इससे किराएदार-भू स्वामी के बीच विवाद जल्द निपटेंगे। किराएदार जबरिया कब्जा नहीं कर पाएगा और भू स्वामी किराएदार से बेवजह लाभ नहीं कमा पाएगा। कलेक्टर किराया प्राधिकारी तय करेंगे। किराया न्यायालय की स्थापना होगी। शासन जिला न्यायाधीश को किराया अधिकरण नियुक्त करेगा। किराएदार या भूमि स्वामी आवेदन देकर मामला दर्ज करा सकेंगे। दो माह में मामला निपटाना होगा। लेकिन अफसरों की मप्र किराएदारी अधिनियम 2022 के ड्राफ्ट में रूचि नहीं दिख रही है।
अधिकारियों ने एक भी सुझाव नहीं दिया
मप्र के 52 जिलों के कलेक्टर और राजस्व तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को मप्र के किराएदारी अधिनियम 2022 के ड्राफ्ट से कोई लेना-देना नहीं है। इन सभी को अधिनियम का ड्राफ्ट सिर्फ सुझाव के लिए भेजा गया था, लेकिन एक ने भी सुझाव नहीं दिया। आम लोगों की ओर से बमुश्किल 35 सुझाव आए हैं, जिनमें सबसे अहम है अपील और सुनवाई के अधिकार बदलने का। ड्राफ्ट में कहा गया है कि हर जिले में डिप्टी कलेक्टर को सक्षम अधिकारी (किराया प्राधिकारी) बनाया जाएगा, जिन्हें कलेक्टर नियुक्त करेंगे। इनके फैसले की अपील एडीएम के पास होगी। अभी 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर मालिक और किराएदार के बीच 11 महीने का करार होता है। नया एक्ट लागू होने के बाद यह व्यवस्था खत्म हो जाएगी। पूरे प्रदेश में एक जैसा फॉर्म व प्रारूप होगा। सूत्रों की मानें तो इसे विधि विभाग से परीक्षण के बाद तुरंत कैबिनेट में लाया जाएगा। मालिक या किराएदार एक्ट का उल्लंघन करते हैं। तो उनकी सुनवाई किराया ट्रिब्यूनल में होगी।
हर जिले में होगा किराया ट्रिब्यूनल का गठन
हाईकोर्ट से चर्चा के बाद हर जिले में किराया ट्रिब्यूनल का गठन होगा। सुझावों में कहा गया है कि डिप्टी कलेक्टर, एडीएम और कलेक्टर के पास समय नहीं होता। उनके बजाय ऐसे अफसर को सक्षम अधिकारी बनाया जाना चाहिए, जिसके पास कोई दूसरा काम न हो। सुझाव में यह भी जोड़ा गया है कि मालिक और किराएदार के बीच लिखा-पढ़ी को कानूनी शक्ल मिलने के बाद उसे डिजिटल सिस्टम पर अपलोड किए जाने की बात की गई है। इसलिए एक पोर्टल बने, जिसमें डॉक्यूमेंट अपलोड करने की व्यवस्था हो। इसके अलावा जिला प्रशासन के बजाय ज्यूडिशियरी को अपीलेंट अथॉरिटी बनाने की बात कही गई है। डायरेक्टोरेट के अफसरों ने कहा कि अभिमत के साथ ड्रॉफ्ट में जरूरी संशोधन होंगे।