व्हील चेयर पर साक्षात्कार देने गए थे भांडेर के पीयूष दुबे; गुलियन बेरी सिंड्रोम का अटैक पूरे शरीर पर था:दिखाया हौसला,सफलता मिली

राजेश शुक्ला, ग्वालियर।…कहते हैं इंसान अगर मन में ठान ले तो उसे सफलता प्राप्त होकर रहती है। हाल ही में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की रैंक जारी हुई है। जिसमें ग्वालियर-अंचल से बड़ी संख्या में होनहार और प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने सफलता प्राप्त की है। ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं।

यद्यपि दतिया स्थित भांडेर निवासी 26 वर्ष के पीयूष दूबे ने जिन विषम परिस्थितियों में सिविल सेवा परीक्षा में 289 रैंक प्राप्त की है। इस रैंक के पीछे पीयूष के लंबे संघर्ष, त्याग, परिश्रम और एक ऐसी रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर बीमारी की कहानी जुड़ी हुई है। इसका प्रभाव अब भी पीयूष के पूरे शरीर पर है।

इस बीमारी का नाम GBS यानी गुलियन बेरी सिंड्रोम है। 11 मार्च 2022 को पीयूष अपने घर पर थे तभी उन्हें इस बीमारी का अटैक आया। इस अटैक का प्रभाव उनके पूरे शरीर पर था लेकिन इसके बावजूद भी उनके हौसले पर यह अटैक कोई असर नहीं दिखा सका।

घटना वाले दिन उन्हें भांडेर से सीधे ग्वालियर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया यहाँ डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनकी हालत लगातार बिगड़ती रही। स्थानीय डॉक्टर ने जवाब दे दिया कि आप इन्हें दिल्ली ले जाए या घर ले जाएं हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है। इसके बाद पीयूष को ग्वालियर से एम्बुलेंस में लाकर दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

ग्वालियर में लोकल रिश्तेदारों ने उनकी भरपूर मदद की।अस्पताल में भी कुल 25 दिन एडमिट रहे पीयूष ने हिम्मत न हारी और बीमारी को अपने आप पर हावी नहीं होने दिया।

ग्वालियर की अमलतास  कॉलोनी निवासी उनकी रिश्ते में बहन सपनाअजीत शर्मा नेbyline24.com को बताया कि पीयूष इससे पूर्व बैंक की जॉब छोड़ चुके थे और पीएससी की तैयारियों में व्यस्त हो गये थे उन्होंने कभी हिम्मत न हारी। जिसका परिणाम आज हमारे सामने है।

व्हीलचेयर पर गए इंटरव्यू देने

पीयूष ने बताया कि 18 मई को वह व्हील चेयर पर बैठकर इंटरव्यू देने दिल्ली गए थे। साक्षात्कार लेने वाली जूरी ने भी उनकी हिम्मत की दाद दी और हिंदी साहित्य से जुड़े सवालों के बारे में पूछा।पीयूष ने बताया कि वह भारतीय राजस्व सेवा में जाना चाहते हैं।  उन्होंने हिंदी साहित्य को परीक्षा के लिए चुना था। GBS बीमारी के बारे में पीयूष ने बताया कि यहाँ एक लाख लोगों में से सिर्फ़ एक व्यक्ति को होती है। इसकी वजह से पूरे शरीर पर अटैक पड़ता है और पीड़ित हर काम के लिए मोहताज हो जाता है।

पीयूष के पिता माता प्रसाद दुबे डॉक्टर है। माता निर्मला दुबे  गृहणी है।साथ ही उनकी बहन प्रियंका और भाई प्रशांत ने भी उनका साथ दिया।