न्याय मिलना तभी संभव है जब पर्याप्त अदालतें और बुनियादी संरचना हो: सीजेआई रमना

हैदराबाद: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने शुक्रवार को कहा कि वह न्यायपालिका में रिक्त पड़े पदों को भरने और देश में न्यायिक ढांचे को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं और साथ ही न्यायाधीशों एवं अन्य की सुरक्षा से संबंधित विषयों पर भी ध्यान दे रहे हैं.

तेलंगाना राज्य के न्यायिक अधिकारियों के यहां आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में जस्टिस रमना ने कहा कि हमारी न्यायपालिका पर काम का बोझ है.

सीजेआई ने कहा कि उन्होंने पदभार ग्रहण करते ही खाली पदों को भरने और न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे को सुधारने का काम शुरू किया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस रमना ने कहा कि किसी भी प्रकार की सेवा देने वाले किसी संगठन के प्रदर्शन का मूल्यांकन उसके लक्ष्य प्राप्त करने के संदर्भ में किया जाना चाहिए.

हैं

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि संविधान में बताया गया है, न्याय वितरण प्रणाली का उद्देश्य समय पर न्याय देना है. न्याय वितरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की बात है तो, भारतीय न्यायपालिका और खासकर निचली अदालतों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा लंबित मामलों का है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘मैं समझता हूं कि बुनियादी ढांचे की कमी और बड़ी संख्या में न्यायिक रिक्तियों के कारण आपके कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हालांकि, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं इन मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं.

उन्होंने यह भी कहा कि निचली न्यायपालिका को मजबूत करना समय की जरूरत है.

कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने के साथ ही संविधान अदालतें पूरी क्षमता के साथ काम कर रही हैं. उन्होंने न्यायिक अधिकारियों से अपील की कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए नियमित अदालती घंटों से परे अतिरिक्त समय देने के गंभीर प्रयास करें.

जस्टिस रमना ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की राज्य में न्यायपालिका के कामकाज को सुगम बनाने में सक्रिय भूमिका के लिए सराहना की. उन्होंने न्यायपालिका में 4,000 से अधिक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया संचालित करने के लिए भी राव की तारीफ की.