सुप्रीम कोर्ट: मथुरा-झांसी रेल मार्ग पर 5094 पेड़ काटने की अनुमति को लेकर चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपे समिति

करीब 10,400 वर्ग किमी वाला टीटीजेड उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों में और राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने नए रेल मार्ग के लिए एक अर्जी दाखिल कर शीर्ष अदालत से पांच हजार से ज्यादा पेड़ काटने की अनुमति माँगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में मथुरा-झांसी के बीच रेल मार्ग परियोजना के लिए 5,094 पेड़ काटने की इजाजत मांगने के मामले की पड़ताल कर चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

करीब 10,400 वर्ग किमी वाला टीटीजेड उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों में और राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने नए रेल मार्ग के लिए एक अर्जी दाखिल कर शीर्ष अदालत से पांच हजार से ज्यादा पेड़ काटने की अनुमति मांगी है।

आरवीएनएल का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ के समक्ष कहा, दिल्ली-मथुरा और झांसी के बीच मौजूदा रेल मार्ग अत्यधिक व्यस्त है और खाली पटरी न होने के कारण रेलगाड़ियों की आवाजाही में विलंब होता है। मेहता ने अपने तर्क में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल 29 जनवरी के एक आदेश का जिक्र भी किया, जिसमें मथुरा जंक्शन व झांसी के बीच तीसरी रेल पटरी बिछाने के लिए 4,102 पेड़ काटे जाने की अनुमति दी गई थी।

इस पर पीठ ने कहा कि सीईसी को इस मामले में एक रिपोर्ट सौंपने दीजिए। जजों ने कहा, चूंकि रेल लाइन के और 5,094 पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई है, लिहाजा समिति को परियोजना के महत्व को मद्देनजर रखते हुए विषय की पड़ताल कर चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है।