अच्छा हुआ योगी अयोध्या से चुनाव नहीं लड़े, उन्हें विरोध झेलना पड़ता: राम मंदिर के मुख्य पु​जारी  

  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की अटकलों का पटाक्षेप होने के बाद राम मंदिर के मुख्य पुरोहित आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि अच्छा हुआ योगी यहां से चुनाव नहीं लड़े वरना उन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ता.

दास ने दावा किया कि उन्होंने योगी को सलाह दी थी कि वह अयोध्या के बजाय गोरखपुर से चुनाव लड़ें.

पिछले 30 वर्षों से राम मंदिर के मुख्य पुरोहित का दायित्व निभा रहे दास ने सोमवार को समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से बातचीत में कहा, ‘यह अच्छा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. मैंने उन्हें सुझाव दिया था कि बेहतर होगा कि वह अयोध्या के बजाय गोरखपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ें.’

दास ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि भाजपा राम मंदिर को कभी अपने एजेंडे से बाहर नहीं निकालेगी.

84 वर्षीय पुजारी ने कहा कि यहां अयोध्या के संतों की राय विभाजित है और जिनके घर और दुकानें ध्वस्त की गईं, वे उनके खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि सब कह रहे हैं कि यह उनका काम है. यह विरोध है.

इस सवाल पर कि उन्होंने योगी को अयोध्या से चुनाव न लड़ने की सलाह क्यों दी दास ने कहा, ‘हम तो रामलला से पूछ कर बोलते हैं. हम रामलला की प्रेरणा से बोले थे. यहां के साधू एकमत नहीं हैं. विकास परियोजनाओं के लिए जिन लोगों के मकान तोड़े गए हैं, वे सब योगी के खिलाफ हैं. इसके अलावा जिन लोगों की दुकानें तोड़ी जानी हैं, वह सब भी योगी से नाराज हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सभी कह रहे हैं कि यह योगी का काम है. इतना विरोध देखने के बाद मैंने योगी जी से कहा कि बेहतर होगा कि वह गोरखपुर से चुनाव लड़ें. वैसे योगी यहां से भी चुनाव जीत जाते लेकिन उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता.’

उन्होंने कहा, ‘वो यहां से जीत जाते लेकिन मुश्किलों का सामना कर सकते थे.’

गौरतलब है कि राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा सरगर्म थी कि योगी अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें गोरखपुर नगर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.

अयोध्या की चुनावी फिजा के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, ‘अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि सभी पार्टियों ने अभी यहां अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं. आने वाले समय में जनता का मिजाज पता लगेगा.’

इस सवाल पर कि अयोध्या में हो रहे राम मंदिर निर्माण का मामला क्या आगामी विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा आचार्य दास ने कहा, ‘राम मंदिर का मुद्दा कभी नहीं जाएगा. नाम जरूर लेंगे. यह नहीं जाएगा भाजपा के एजेंडे से.’

दास ने कहा, ‘पहले रामलला आंदोलन था, फिर अदालत का आदेश आया और राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. यह राम मंदिर का मुद्दा कभी नहीं मिटेगा. वे कहेंगे कि यहां (कार सेवकों पर) फायरिंग की गई थी, निर्माण को रोकने के लिए अदालत में आवेदन ले जाया गया था, लेकिन मंदिर निर्माण जारी है.’

मात्र 20 साल की उम्र में अयोध्या आए आचार्य सत्येंद्र दास को उम्मीद है कि वह अपने जीवन में मुकम्मल राम मंदिर देख पाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘देखते हैं, मंदिर का निर्माण कब पूरा होता है. मेरे साथ जो भी लोग आए थे, उनमें से ज्यादातर की मृत्यु हो गई है. जब तक मैं जिंदा हूं यहां सेवा करूंगा.’

दास ने कहा कि वह 1992 में अस्थायी रामलला मंदिर के पुजारी बने थे, जिस वर्ष बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया था.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उन्होंने कहा, ‘शाम 5 बजे तक विध्वंस खत्म हो गया था. बाद में कार सेवकों ने तंबू गाड़ दिया और जगह को समतल कर दिया और शाम 7 बजे तक मैंने रामलला को वहीं विराजमान कर दिया था.’

इस सवाल पर कि क्या अयोध्या में विवादित स्थल पर बनी मस्जिद ढहा जाने के वक्त वह मौके पर मौजूद थे, दास ने कहा ‘हां, मैं वहीं था. वह सब मेरे सामने हुआ. तीन गुंबदों में से उत्तरी और दक्षिणी गुंबद को कारसेवकों ने ढहाया था. मैं रामलला को उनके सिंहासन समेत अपने हाथ में उठाए था.’

इस सवाल पर कि क्या स्थानीय राजनेताओं ने उनका आशीर्वाद लेने के लिए आना शुरू कर दिया है, पुरोहित ने कहा ‘अभी तक समाजवादी पार्टी नेता पवन पांडे की पत्नी यहां आई हैं. पांडे सपा के मजबूत उम्मीदवार हैं.’

पवन पांडे वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर विजयी हुए थे. उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार लल्लू सिंह को हराया था. वर्ष 2017 में भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता इस सीट से जीते थे.

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की पांचों सीटों अयोध्या, बीकापुर, रुदौली, गोसाईगंज और मिल्कीपुर पर विजयी हुई थी. अयोध्या में पांचवें चरण में आगामी 27 फरवरी को मतदान होगा.

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