वीडियो दिखाते हैं कि मोदी के काफ़िले के पास प्रदर्शनकारी नहीं भाजपा कार्यकर्ता थे

सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे इन वीडियो में भाजपा समर्थकों के एक समूह को पार्टी का झंडे पकड़े हुए प्रधानमंत्री के काफिले से कुछ ही मीटर की दूरी पर ‘नरेंद्र मोदी जिंदाबाद’ के नारे लगाते देखा जा सकता है.

इस बीच वीडियो में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के कर्मियों को प्रधानमंत्री मोदी की कार के चारों ओर सुरक्षा ढाल बनाते हुए चलते हुए भी देखा जा सकता है.

एसकेएम नेता दर्शन पाल ने विरोध कर रहे किसानों पर सवाल उठाने को अजीब बताते हुए कहा, ‘इन वीडियो से यह स्पष्ट है कि जो मोदी के काफिले के करीब पहुंचे थे, वे दरअसल भाजपा के समर्थक थे और उन्हें मोदी को देखकर उनके लिए नारे लगाते भी देखा जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि किसान वास्तव में प्रधानमंत्री के काफिले के रुकने की जगह से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर थे.

एसकेएम द्वारा गुरुवार को जारी बयान में स्पष्ट किया गया कि राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को कोई जानकारी ही नहीं थी कि मोदी का काफिला वहां से गुजरना था.

उन्होंने कहा कि किसानों को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रधानमंत्री के जाने के बाद मीडिया रिपोर्टों से पता चली.

भाजपा समर्थक पांच जनवरी को प्रधानमंत्री के काफिले के इतने नजदीक कैसे पहुंचे.

भठिंडा और फिरोजपुर के बीच का 110 किलोमीटर का रास्ता, जिससे प्रधानमंत्री का काफिला गुजर रहा था, उसे प्रधानमंत्री के सड़क मार्ग से फिरोजपुर जाने का फैसला होने के बाद सामान्य यातायात के लिए बंद कर दिया गया था.

बता दें कि पहले प्रधानमंत्री को हेलीकॉप्टर के जरिये फिरोजपुर जाना था लेकिन खराब मौसम की वजह से सड़क मार्ग को चुना गया.

द वायर  से बातचीत में मोगा के एसएसपी चरणजीत सिंह ने बताया कि राजमार्ग के एक तरफ को वीवीआईपी आवागमन के लिए रखा गया था और उसी तरफ से मोदी का काफिला जा रहा था जबकि राजमार्ग के दूसरी तरफ के रास्ते को प्रधानमंत्री की रैली के लिए लोगों को ले जा रहे वाहनों के लिए था.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के सड़क मार्ग से फिरोजपुर जाने का फैसला होने के बाद किसी को भी राजमार्ग से नहीं जाने दिया जा रहा था.

हालांकि, यह सुरक्षा योजना उस समय बिगड़ गई, जब भारतीय किसान संघ (क्रांतिकारी) की अगुवाई में किसानों के जत्थे ने अचानक मोगा-फिरोजपुर राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि मोदी सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं और वह उसी मार्ग से जा रहे हैं.

भाजपा समर्थकों को ले जा रहे कई निजी वाहन राजमार्ग के उस हिस्से में पहले ही फंस गए थे, जहां प्रधानमंत्री के काफिले को लगभग एक किलोमीटर दूर रोक दिया गया था क्योंकि वहां प्रदर्शनकारी जमा थे.

इस तरह भाजपा समर्थक प्रधानमंत्री के काफिले के इतने करीब आ सके और फ्लाईओवर पर उन्हें देखकर उनके लिए नारे लगाने लगे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट तक फंसे रहने की वजह से आगे नहीं बढ़ पाने पर मोदी भठिंडा हवाईअड्डे लौट गए. जैसे ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम ने इस योजना को रद्द कर दिया, उनकी रैली भी रद्द कर दी गई और इसके अलावा हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक के उनके दौरे को भी रद्द कर दिया गया. इसके बाद वह भठिंडा हवाईअड्डे से दिल्ली लौट गए.

 प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए हवन कराने के लिए पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन देने से लेकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के भाजपा नेता इस मुद्दे को लेकर बीते तीन दिन से व्यस्त हैं.

भाजपा का आरोप है कि प्रधानमंत्री के काफिले में कथित सुरक्षा चूक मोदी की हत्या की साजिश थी.

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