विजय दिवस: भारत को विजय दिलाने के लिए शहादत देने वाले सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
विजय दिवस के उपलक्ष्य में सीसुबल अकादमी टेकनपुर में खुला मंच का आयोजन
ग्वालियर।आज 16 दिसंबर का दिन भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से अंकित है। आज का दिन देश के वीर जवानों को सलाम करने के लिए है।वे जवान जिन्होंने 1971 में अपना पूरा दम लगाकर पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। पाकिस्तान पर भारत की जीत का जश्न आज के दिन विजय दिवस नाम से मनाया जाता है।विजय दिवस वीरता और शौर्य की मिसाल है।बताया जाता है कि 1971 के उस युद्ध में हमारे 3900 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जबकी 9851 घायल हुए।आज शाम को टेकनपुर स्थित BSF अकेडमी में इन्हीं वीर शहीदों को खुला मंच के ज़रिए पुष्पांजलि अर्पित की गई
टेकनपुर के न्यू ऑडिटोरियम मे, 1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान शहीद हुए अमर वीरों को श्रद्धांजलि देकर विजय दिवस पर खुला मंच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर ले० जनरल अशोक सिंह(सेवानिवृत्ति) PVSM, AVSM, SM, VSM व पी० वी० रामा शास्त्री, भा0पु0से0 अपर महानिदेशक, निदेशक सीमा सुरक्षा बल अकादमी टेकनपुरव श्री जितेन्दर सिंह ऑबेरॉय, विशिष्ट सेवा मेडल, महानिरीक्षक व संयुक्त निदेशक, सीमा सुरक्षा बल अकादमी ने मंच पर शिरकत की। सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर तत्पश्चात् नागरिक परिषद् के गणमान्य सदस्यों द्वारा सीमा सुरक्षा बल के 1971 के भारत पाक युद्ध में शहीद हुये योद्धाओं को पुष्पांजलि अर्पित की गई।
सीमा सुरक्षा बल अकादमी प्रतिवर्ष 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाता आ रहा हैं। इस दिन स्व० श्री आर के वाधवा, सहायक कमाण्डेंट सीमा सुरक्षा बल के महावीर चक्र विजेता योद्धा तथा सीमा सुरक्षा बल के उन अधिकारियों व अन्य कार्मिकों के सर्वोच्च बलिदान व अमूल्य योगदान को स्मरण किया जाता है जिन्होंने सन् 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाकर बांग्लादेश को आजाद कराया। भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की वर्षगांठ पर अकादमी परिवार की ओर से खुला मंच का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ले० जनरल अशोक सिंह(सेवानिवृत्ति) PVSM, AVSM, SM, VSM ने पाक युद्ध एवं इसमें बीएसएफ की भूमिका तथा उसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश के उदय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने ओजस्वी एवं उर्जा से परिपूर्ण भाषण में अमर शहीदों को याद किया एवं सीमा सुरक्षा बल के अहम योगदान की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने इस बात को भावुक हो कर सराहा कि नागरिकों द्वारा सैनिकों के सम्मान की रीति को जिस प्रकार निरंतर हर वर्ष मनाया जाता है, यह राष्ट्र की सुरक्षा में खड़े सिपाही के हौसले को बुलंद करती है तथा साथ ही सिपाही पर भी जिम्मेवारी देती कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान से पीछे न हटें।
कार्यक्रम के दौरान जितेंदर सिंह ऑबेरॉय, विशिष्ट सेवा मेडल, महानिरीक्षक व संयुक्त निदेशक, सीमा सुरक्षा बल अकादमी ने बल के उन बहादुर वीर शहीदों जिन्होंने 1971 की लड़ाई में अपने सर्वोच्च बलिदान से बल को गौरवान्ति किया, उन्हें श्रद्धांजली अर्पित कर सीसुबल के महत्वपूर्ण योगदान को याद किया।
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी मान्यवरों का इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नागरिक परिषद् द्वारा इस प्रकार के वार्षिक कार्यक्रम हमें राष्ट्र के सुरक्षा में निरंतर योगदान के लिए सदैव प्रेरित करते हैं।
सीमा सुरक्षा बल अकादमी वरिष्ठ अधिकारीगण, अधिनस्थ अधिकारीगण, नागरिक परिषद ग्वालियर के सदस्य तथा बहुसंख्या में ग्वालियर एवं डबरा क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कार्यक्रम में अपनी उपस्थित दर्ज करायी।
यह विजय दिवस का इतिहास
साल 1971 के युद्ध में भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तान को फिर खदेड़ दिया था।वॉर के अंत में पाकिस्तान के 93 हजार सौनिकों ने सरेंडर कर दिया था।भारत की महनत से पूर्वी पाकिस्तान को आजादी मिली थी और एक नए देश का गठन हुआ, जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।पूर्वी पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने हार मान ली थी।वह दिन 16 दिसंबर ही था जब जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजात साइन किए थे।
What You Must Forget About The Need To Improve Your Most Famous
Pornstars Most Famous Pornstars
15 Terms Everybody Who Works In Kayleigh Porn Star Industry Should Know Kayleigh pornstar