न्यूनतम आयु से पूर्व हुआ विवाह कानून द्वारा निर्धारित आयु पूर्ण होने पर वैध

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तलाक से जुड़ी एक याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि विवाह की न्यूनतम आयु से पहले किया गया विवाह निर्धारित आयु पूरी करने के बाद वैध होता है। यह अवैध योग्य है, लेकिन इसे कानूनी रूप से अवैध करार दिया जाना जरूरी है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी तरह का एक अलग मामला पहुंचा है। इस मामले में लुधियाना की फैमिली कोर्ट ने 2009 में हुए विवाह को अमान्य करार देते हुए तलाक का आदेश देने से इनकार कर दिया।

 

लुधियाना की अदालत ने कहा कि विवाह के समय पत्नी की आयु 17 वर्ष थी, ऐसे में यह विवाह वैध नहीं है। 11 साल का बच्चा होने के बावजूद इस प्रकार के आदेश से परेशान दंपती ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई।

 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में लुधियाना की अदालत का फैसला सही नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार विवाह योग्य आयु से पहले किया गया विवाह अवैध करार देने योग्य है, लेकिन इसके लिए बाल विवाह अधिनियम के तहत आवेदन करना अनिवार्य है।

 

यदि इसे अवैध करार नहीं दिया गया है तो विवाह के लिए न्यूनतम आयु पूरी करने के बाद विवाह पूरी तरह से वैध है। हाईकोर्ट ने दंपती की अपील मंजूर करते हुए लुधियाना फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया

 

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