88 वर्ष में पहली पुस्तक का प्रकाशन होना नवोदित कवियों के लिए प्ररेणादायक:ए.असफल

ग्वालियर। साहित्यकार का मतलब होता है, साहित्य की रचना करने वाला व्यक्ति। साहित्यकार, भाषा के सि$र्फ उपयोगकर्ता ही नहीं होते, बल्कि वे भाषा के शिल्पी भी होते हैं। वे शब्दों के प्रचलित अर्थों के साथ-साथ नए अर्थ भी देते हैं और नए शब्द गढ़ते हैं। वे नये मुहावरे भी बनाते हैं और नई उपमाएं और नये प्रतीक भी रचते हैं। साहित्यकारों का दायित्व है कि वे समय की मांग के मुताबिक साहित्य का निर्माण करें, इसमें वर्तमान समय की स्थानीय और वैश्विक समस्याओं का हल होना चाहिए और साथ ही भविष्य का युग बोध भी होना चाहिए। साहित्यकारों को यथार्थ को साहित्यिक कैनवास पर चित्रित करना चाहिए और उसमें प्रेरणा और आदर्श के रंग भरने चाहिए। यह खासियत 88 वर्ष के साहित्यकार और मूल रूप से कवि रामचरण शर्मा ‘मधुकर में है। उन्होंने सम समायिक परिवेश को उसकी विसंगतियों को अपने दोहे और गीतों में समावेश किया है। यह विचार गत दिवस किस्सा कोताह द्वारा आयोजित रामचरण शर्मा की पुस्तक ‘किस-किस की बात लिखूं के विमोचन समारोह में मंचासीन साहित्यकारों ने प्रकट किए। वयोवृद्ध कवि की पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में आयोजित किया गया।
इस मौके पर समिति की ओर से डॉ.आशा वर्मा.डॉ रश्मि चौधरी, अनीता अक्षत, विजय सिंह पाल, श्यामबहादुर श्याम, महेंद्र मिहोनबी,अखिलेश शर्मा, कमलेश शर्मा, ज्ञानेंद्र सिंह, रामचरण मधुकर का सम्मान संस्था अध्यक्ष डॉ.शिव यादव और सचिव शिवमंगल सिंह ने किया। पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए संचालक कर रहे कहानीकार और किस्सा कोताह के संपादक ए.असफल ने लेखक के हौसले और विचारों को दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत परेशानी के बावजूद लेखक ने जिस तरह का साहित्य सृजन किया, वह काबिलेतारीफ है। आमतौर पर लोग किसी भी तकलीफ में परेशान हो जाते हैं, निराशा या डिप्रेशन में चले जाते हैं।

अपनी उम्र और बीमारियों की चिंता न करते हुए रामचरण मधुकर ने दूसरों के लिए भी एक प्ररेणादायक सोच और विचार को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि मधुकरजी की 88 वर्ष में पहली पुस्तक का प्रकाशन होना बहुत बड़ी बात है। उन्होंने पुस्तक में विषयों का चयन करने के साथ लिखने की शैली को श्रेष्ठ बताया।

काव्य पाठ में इन कवियों ने पढ़ी रचनाएं
अनंगपाल सिंह अंनग,चेतराम सिंह भदौरिया,अमर सिंह यादव,किंकरपाल सिंह जादौन,महेन्द्र मुक्त,रामअवध विश्वकर्मा,दिनेश विकल,घनश्याम भारती,राजेश अवस्थी लावा,ज्ञानेन्द्र सिंह,कमलेश शर्मा कमल,अखिलेश शर्मा,सरिता चौहान,ज्योति दिनकर,आशा वर्मा,शिवमंगल सिंह,डॉ.शिवसिंह यादव, रामलखन शर्मा, गोविन्द सिंह भदौरिया और अशोक मातराज।

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