अब चंबल अभयारण्य के 207.05 हेक्टेयर क्षेत्र से निकालेंगे रेत, अभयारण्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव मांगा, ज्यादा क्षेत्र से निकाल पाएंगे रेत
भोपाल। राज्य सरकार ने साल भर पहले चंबल एवं सहायक नदी पार्वती से संबद्ध पांच हिस्सों में रेत खनन गतिविधियों का प्रस्ताव केंद्रीय वन्यप्राणी बोर्ड को भेजा था, जिसने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अब वन्यप्राणी शाखा ने मुरैना के वनमंडल अधिकारी से अभयारण्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव मांगा है। सूत्रों की माने तो प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद मध्य प्रदेश के तीन, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के दो-दो जिलों के 435 किलो मीटर में फैले चंबल घड़ियाल वन्यप्राणी अभयारण्य से 207.05 हेक्टेयर क्षेत्र बाहर (डिनोटिफाई) किया जाएगा। इस क्षेत्र में चमकदार रेत है और ग्वालियर-मुरैना के नेता लंबे समय से रेत के लिए इस क्षेत्र को बाहर करने की मांग कर रहे थे। वर्ष 1979 में स्थापित इस अभयारण्य में लगभग 1400 घड़ियाल हैं। मादा घड़ियाल मार्च-अप्रैल में चंबल नदी के किनारे रेत में अंडे देती हैं। इसलिए वर्ष 2006 में हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अभयारण्य से रेत खनन पर रोक लगा दी थी, तभी से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अभयारण्य से रेत निकालने के लिए क्षेत्र को डिनोटिफाई करने की मांग कर रहे थे। पिछले माह केंद्रीय वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में यह मुद्दा आया और बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी। अब सैलाना और सरदारपुर खरमोर अभयारण्य की तरह चंबल घड़ियाल अभयारण्य की सीमाओं का पुनर्निर्धारण होगा। मालूम हो कि देश में चंबल के बाद बिहार की गंडक नदी में घड़ियाल पाए जाते हैं, जो घड़ियाल की संख्या के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है। यह अभयारण्य मध्य प्रदेश में मुरैना, भिंड और श्योपुर, उत्तर प्रदेश में इटावा, आगरा और राजस्थान में धौलपुर, करौली जिलों में स्थित है। घड़ियाल अभयारण्य का क्षेत्र कम करने को लेकर पर्यावरणविद् चिंतित हैं। उनका मानना है कि इस प्रस्ताव से चंबल नदी से अधिक रेत निकालने को बल मिलेगा। वैसे भी चोरी-छिपे अभयारण्य की सीमा के अंदर से रेत निकाली जा रही है। वे कहते हैं कि इससे घड़ियाल की वंशवृद्धि की प्रक्रिया प्रभावित होगी।