मुरैना, भिंड व श्योपुर के 214 गांवों से होकर गुजरेगा अटल प्रगति पथ, NGT और पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद नया अलाइनमेंट बना
भोपाल/ ग्वालियर । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के बाद अटल प्रगति पथ का नया अलाइनमेंट बना दिया गया है। अब यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ेगा। एक्सप्रेस-वे चंबल के बीहड़ों से दूर से गुजरेगा। पहले 162 गांवों से होकर गुजरने वाला यह एक्सप्रेस-वे नए अलाइनमेंट में चंबल संभाग (मुरैना, भिंड श्योपुर) के 214 गांवों से गुजरेगा।
गौरतलब है कि अटल प्रगति पथ के लिए सरकारी जमीन का अधिग्रहण हो चुका था और निजी जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही थी, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय और एनजीटी ने बीहड़ों में एक्सप्रेस-वे के निर्माण की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। इसीलिए नए अलाइनमेंट में इसे बीहड़ों, वन विभाग और घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र से दूर कर दिया गया है।
नए ले-आउट के अनुसार प्रगति पथ मुरैना के 110, श्योपुर के 63 और भिंड के 41 गांवों यानी कुल 214 गांवों से गुजरेगा। एक्सप्रेस-वे के रास्ते में पहले मप्र की आठ नदियां थीं, अब 10 नदियों पर बड़े पुल बनाए जाएंगे। एनएचएआइ ने नए अलाइनमेंट के लिए मुरैना, श्योपुर एवं भिंड जिला प्रशासन से जमीन मांगी है। पहले इसमें 75 फीसद जमीन सरकारी थी, अब 90 फीसद से ज्यादा जमीन किसानों की आ रही है।
मप्र में छह किमी कम हुई लंबाई
अटल प्रगति पथ राजस्थान के कोटा जिले के करिया-बारा में नेशनल हाइवे 27 से शुरू होगा, जो श्योपुर-मुरैना-भिंड होते हुए उप्र के इटावा तक जाएगा। पहले इसकी लंबाई 404 किलोमीटर थी, जो अब 423 किलोमीटर से ज्यादा होगी। नए अलाइनमेंट के तहत मप्र में इस एक्सप्रेस-वे की लंबाई भी कम हो गई है, पुराने प्रस्ताव में 312 किलोमीटर का हिस्सा मप्र में था, अब 306 किलोमीटर होगा। उप्र में अटल प्रगति पथ की लंबाई करीब 23 किलोमीटर बढ़ गई है। पूर्व के प्रस्ताव में यूपी में 24 किमी का हिस्सा था, नए में 47 किमी लंबा अटल प्रगति पथ यूपी में होगा। लागत भी बढ़ी है। पहले सात हजार करोड़ रुपये में प्रस्तावित अटल प्रगति पथ का बजट अब नौ हजार करोड़ रुपये के आसपास आंका जा रहा है। अटल प्रगति पथ का नया नया अलाइनमेंट बना है, जो बीहड़ों से दूर है। अब यह एक्सप्रेस-वे उप्र में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। मुरैना जिले के 214 गांवों से होकर यह एक्सप्रेस-वे गुजरेगा। पहले से इसकी लागत भी बढ़ गई है।
– राजेश गुप्ता, प्रोजेक्ट इंचार्ज, एनएचएआई