मप्र में नये श्रम कानून जल्द लागू होंगे, वेतन कम लेकिन प्रोविडेंट फंड और ग्रेजुएटी का लाभ मिलेगा
नई दिल्ली/ भोपाल। श्रम मंत्रालय ने नए श्रम कानूनों में जो परिवर्तन का मसौदा तैयार किया था। उस पर 21 से ज्यादा राज्यों नेमामूली संशोधन के साथ सहमति दे दी है। केंद्र सरकार इसे जल्द ही लागू करने जा रही है। श्रम कानूनों में जो नए प्रावधान किए गए हैं। उसमें सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा किसी कर्मचारी से काम नहीं लिया जा सकेगा। 4 दिन में 48 घंटे का काम पूर्ण कराने की सुविधा होगी। तय समय सीमा से 15 मिनट से ज्यादा काम करने पर ओवर टाइम देना होगा।बाकी दिन कर्मचारी छुट्टी मना सकता है। 180 दिन लगातार काम करने के बाद लंबी छुट्टी लेने का अधिकार श्रमिक का होगा। महिला कर्मचारी रात की पारी में काम कर सकेगी, लेकिन उसकी सहमति आवश्यक होगी।
नए प्रावधान लागू होने के बाद वेतन कम होगा। किंतु प्रोविडेंट फंड और ग्रेजुएटी के लाभ ज्यादा होंगे।
कर्मचारी के मूल वेतन का हर माह 50 फ़ीसदी सीटीसी में अनिवार्य होगा।नया कानून लागू होने के बाद श्रमिकों का एक बहुत बड़ा वर्ग इस कानून के दायरे से बाहर हो जाएगा। पुराने श्रम कानून में जिस संस्थान में 20 लोग काम करते थे। उन्हें भी श्रम कानून का संरक्षण मिलता था। अब यह यह संख्या बढ़ाकर 50 की जा रही है।
-बिना अनुमति हड़ताल पर रोक
किसी मुद्दे पर कर्मचारी संगठनों और नियोक्ता के बीच तालमेल नहीं होता है। इसकी जानकारी सरकार को देना अनिवार्य होगी। सरकार मामला ट्रिब्यूनल में भेजेगी। अंतिम फैसला आने तक कर्मचारी संगठनों को हड़ताल का अधिकार नहीं होगा। कर्मचारी सामूहिक छुट्टी भी नहीं ले सकेंगे। इसे भी हड़ताल की श्रेणी में रखा गया है।
श्रम कानूनों में नहीं होगी जेल
पुराने श्रम कानूनों में उल्लंघन करने पर नियोक्ता को जेल भेजने का प्रावधान था। नए कानून में अब जुर्माना देकर नियोक्ता बच सकेंगे। कर्मचारी यूनियन में जब तक संस्थान में काम करने वाले 51 फ़ीसदी लोग सदस्य नहीं होंगे। तब तक उसे पंजीकृत यूनियन का दर्जा नहीं मिलेगा। कर्मचारी यूनियन के लिए 20 फ़ीसदी सदस्य संख्या अनिवार्य होगी। 51 फ़ीसदी सदस्यों वाली संयुक्त कर्मचारी संगठन होंगे तभी वह नियोक्ता के साथ बैठकर बातचीत कर सकेंगे।
श्रम संगठनों का विरोध
नए श्रम कानूनों का विरोध श्रम संगठन कर रहे हैं। नया लेवर कोड कब से लागू होगा। इसकी अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है। मंत्रालय का कहना है, जल्दी ही संशोधित श्रम कानून को लागू किया जाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद नियोक्ता के अधिकार ज्यादा होंगे। वहीं कर्मचारियों के हित संवर्धन पुराने कानून की तुलना में बहुत कम होंगे।