नई पीढ़ी शादी को बुराई मानकर लिव इन रिलेशन में रहना पंसद कर रही है : केरल हाईकोर्ट
कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने शादी जैसे पवित्र बंधन को लेकर युवाओं की सोच पर नाराजगी व्यक्त की है।अदालत ने तलाक की याचिका को खारिज कर कड़ी टिप्पणी की है, जिसमें कहा गया है कि नई पीढ़ी शादी को बुराई के रूप में देखकर इससे बचना चाहती हैं, और आजाद जीवन का आनंद लेना चाहती हैं। समाज में लिव-इन रिलेशनशिप के मामले बढ़ रहे हैं और यह हमारे समाज के लिए चिंता का विषय है।
जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक और सोफी थॉमस की डिवीजन बेंच ने पिछले हफ्ते कथित वैवाहिक क्रूरता पर तलाक के लिए एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने कहा कि, युवा पीढ़ी सोचती है कि शादी करने से उनकी आजादी छिनेगी। इसलिए शादी करने के जगह लिव इन रिलेशन में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। समाज में यूज एंड थ्रो यानी इस्तेमाल करो और फेंको की उपभोक्तावादी संस्कृति बढ़ती जा रही है।
हाई कोर्ट ने कहा कि कानून और धर्म में विवाह को एक संस्था के रूप में माना जाता है इसलिए शादी के बाद कोई भी इस रिश्ते को एकतरफा नहीं छोड़ सकता है, जब तक कि वे कानूनी प्रक्रिया पूरी न हो। सिर्फ विवाद, वैवाहिक संबंधों के सामान्य टूट-फूट या कुछ भावनात्मक भावनाओं के आकस्मिक प्रकोप को क्रूरता के रूप में नहीं देखा जाता।