अब मध्यस्थता केंद्रों से उपभोक्ताओं को त्वरित राहत दिलाने की तैयारी, मप्र के हर जिला उपभोक्ता आयोग में खुलेंगे मध्यस्थता केंद्र
भोपाल । जिला उपभोक्ता फोरम में लगातार बढ़ते मामलों पर रोक लगाने और प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए शासन एक अनूठी पहल करने जा रहा है। प्रदेशभर के जिला उपभोक्ता आयोगों में अब मध्यध्यता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों पर मध्यस्थ नियुक्त होंगे जो आयोग के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत होते ही उसके त्वरित निराकरण की कोशिश में जुट जाएंगे। ये मध्यस्थ दोनों पक्षों को बुलाकर प्रकरण का कानूनी पक्ष समझाएंगे और कोशिश करेंगे कि वर्षों चलने वाली सुनवाई के बजाय प्रकरण एक ही बैठक में आपसी समझोते से निबट जाए। दोनों पक्षों में समझोता होने पर आयोग उस पर अपनी मुहर भी लगाएगा ताकि भविष्य के किसी नए विवाद को टाला जा सके। उम्मीद है कि इस नई शुरुआत से आयोग में प्रस्तुत होने वाले 40 प्रतिशत से ज्यादा मामलों का निराकरण हाथोंहाथ हो जाएगा। हालत यह है कि एक माह में जितने प्रकरणों का निराकरण होता है उससे कहीं ज्यादा नए प्रकरण प्रस्तुत हो जाते हैं। यही वजह है कि लंबित प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में हाल ही में हुए संशोधन के बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने लंबित प्रकरणों की संख्या में कमी लाने के प्रयास शुरू किए हैं। मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना इसी प्रयास का एक हिस्सा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने वाले आधे से ज्यादा प्रकरण ऐसे होते हैं जिनमें एक-दो बैठक में राजीनामा करवाया जा सकता है।
ऐसे काम करेंगे ये केंद्र
आयोग के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत होते ही संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा और मध्यस्थता की तारीख बता दी जाएगी। मध्यस्थ प्रकरण का बारीकी से अध्ययन कर कानूनी पहलू समझेंगे और पता लगाएंगे कि प्रकरण की स्थिति किस पक्षकार के पक्ष में है। मध्यस्थता के लिए नियत तारीख पर मध्यस्थ दोनों पक्षों को प्रकरण की कानूनी स्थिति समझाते हुए राजीनामे के लिए तैयार करने की कोशिश करेंगे। प्रकरण में समझोता होने पर आयोग समझोते पर अपनी मुहर लगाएगा ताकि भविष्य के विवाद को टाला जा सके। समझोता नहीं होने पर मध्यस्थ अपनी रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करेंगे
यह होगा फायदा
जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत होने पर निराकरण में सामान्य रूप से दो से तीन वर्ष का समय लगता है। एक-दो बैठक में समझोता होने पर लंबी-लंबी तारीखों से छुटकारा मिलेगा। पीडि़त पक्षकार को त्वरित राहत मिल सकेगी। वहीं दूसरे पक्ष को भी आयोग के चक्करों से छुटकारा मिलेगा। समय और आर्थिक दोनों का लाभ होगा। जिला उपभोक्ता आयोग में पदस्थ मध्यस्थों को मानदेय दिया जाएगा। कार्यकुशलता के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। मध्यस्थों के कामकाज पर राज्य उपभोक्ता आयोग की सीधी निगरानी रहेगी।
इनका कहना है
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में संशोधन कर प्रकरणों में मध्यस्थता की संभावनाएं तलाशने का प्रविधान किया गया है।
पूरे प्रदेश के जिला उपभोक्ता आयोगों में मध्यस्थता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। शुरुआत इंदौर से कर रहे हैं। जिला उपभोक्ता आयोगों के समक्ष प्रस्तुत होने वाले 40 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में समझोते की संभावना रहती है। मध्यस्थों के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।
– न्यायमूर्ति शांतनू केमकर, अध्यक्ष मप्र राज्य उपभोक्ता आयोग