मप्र के दो हज़ार चिकित्सा अधिकारियों को मिली बड़ी राहत; सुप्रीम कोर्ट ने 195 करोड़ की वेतनमान राशि की सरकार की वसूली के आदेश को किया रद्द
भोपाल । सुप्रीम कोर्ट से चिकित्सा अधिकारियों को बड़ी राहत मिल गई। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सा अधिकारियों से की जा रही चार स्तरीय वेतनमान की वसूली के आदेश को रद कर दिया है। मध्य प्रदेश सरकार ने चिकित्सा अधिकारियों से चार स्तरीय वेतनमान की 195 करोड़ की राशि ब्याज सहित वापस लेने का आदेश दिया था। यह राशि दो हजार डाक्टरों से वापस ली जाना थी।
प्रदेश सरकार ने केबिनेट की मंजूरी व वित्त विभाग की अनुमति के बाद चार स्तरीय वेतनमान का आदेश जारी किया था। 23 मई 2009 को आदेश जारी कर वेतनमान का भुगतान किया। 30 मई 2012 को विभाग ने आदेश जारी करते हुए 23 मई 2009 के आदेश को निरस्त कर दिया। चार स्तरीय वेतनमान की राशि का भुगतान किया गया था, उसे ब्याज सहित वापस लिया जा रहा था। राशि वापस लिए जाने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर की एकल पीठ ने डाक्टरों से की जा रही वसूली को लेकर जारी आदेश को निरस्त कर दिया।
एकल पीठ के आदेश के खिलाफ शासन ने युगल पीठ में अपील दायर की। युगल पीठ ने शासन की वसूली को वैध ठहराते हुए एकल पीठ के आदेश में बदलाव कर दिया। युगल पीठ का आदेश आने के बाद 30 मई 2012 के अनुसार शासन ने वसूली शुरुआत कर दी। मेडिकल आफिसर एसोसिएशन सहित अन्य डाक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। डाक्टरों की ओर से तर्क दिया गया कि वेतनमान की राशि को वापस नहीं लिया जा सकता है। सरकार ने गलत आदेश पारित किया है। बहस के दौरान मध्य प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने तर्क दिया कि जो राशि वसूल की जानी है। वह राशि 195 करोड़ की है। एक बड़ी राशि है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पैसा डाक्टरों का है, उन्हें देकर अहसान नहीं कर रहे हैं। 195 करोड़ की जगह 1095 करोड़ भी होते, तब भी वसूल नहीं कर सकते थे। सुप्रीम कोर्ट ने वसूली के आदेश में बदलाव कर दिया। इससे डाक्टरों को बड़ी राहत मिल गई। 26 अगस्त 2008 के अनुसार सभी भुगतान, पे फिक्सेशन, पेंशन आदि दिए जाएंगे