9 अगस्त पर विशेष : हरीसिंह और दर्शन सिंह की शहादत के बाद लिखा गया था आँसुओं का इतिहास, छात्रों के बढ़ते आक्रोश पर सरदार पटेल ने मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय से माँगा था इस्तीफा
राजेश शुक्ला, ग्वालियर। ग्वालियर राज्य के लोक मंत्रिमंडल का गठन 24 जनवरी 1948 को हुआ था इसके बाद 28 मई को मध्य भारत का निर्माण हुआ और 16 जून 1948 को मध्य भारत के मंत्रिमंडल ने कार्य आरंभ किया। लीलाधर जोशी के नेतृत्व में ग्वालियर के मंत्रिमंडल ने सिर्फ 4 माह 22 दिन कार्य किया। ग्वालियर की जनता को इतने ही अल्प समय में विश्वास हो गया था कि उक्त मंत्रिमंडल जनता की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
यद्यपि राजनीतिक दांव पैसों के चलते लीलाधर जोशी के विरुद्ध कई लोग खुलेआम वक्तव्य देने लगे।यह सुनकर श्री जोशी को वैराग्य आया। सरदार पटेल व महाराजा सिंधिया के समझाने की परवाह न करते हुए अंततः लीलाधर जोशी ने कुछ समय बाद मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके उपरांत नेता के नाम के बारे में चर्चा आरंभ हो गई। श्री जोशी ने गोपीकृष्ण विजयवर्गीय का नाम आगे किया। गोपी कृष्ण के सत्ता में आने के बाद प्रथम शिक्षा सत्र आरंभ होने पर महारानी लक्ष्मीबाई महाविद्यालय के छात्रों ने अपनी शिक्षा,सुविधा विषय पर कुछ मांग पेश की ।जब उनकी मांगे कई समय तक ना मानी गई तो छात्रों ने विद्यालय व कॉलेजों की हड़ताल रखी और लगातार जुलूस निकाला जिसमें नगर के सभी छात्र शामिल हुए। आंदोलन चलता रहा और पुलिस अपना जुल्म इन छात्रों पर दिखाती रही।
9 अगस्त 1950 को दोपहर के समय पुलिस ने जुलूस, अश्रु गैस लाठी और गोलियां चलाई ।इसमें महाविद्यालय के दो होनहार छात्र हरि सिंह और दर्शन सिंह शहीद हो गए।
ग्वालियर राज्य के जन सेवकों और जनता ने दोनों छात्रों की मौत को गंभीर और दुखद माना। हरिहर निवास द्विवेदी ने मंगल प्रभात पत्र में आंसुओं का इतिहास नाम से एक विशेषांक निकाला। इतिहासकार बताते हैं कि दोनों छात्रों की मौत से ग्वालियर राज्य और आसपास के लोगों में इतना आक्रोश था कि उन्होंने हड़ताल, प्रदर्शन व घेराव आदि का मार्ग अपनाया जनता उनके साथ रही। केंद्रीय शासन को विरोध भेजा गया। लंबे समय तक सुनवाई ना होने के बाद बड़ी संख्या में छात्रों ने सचिवालय मोती महल ग्वालियर का घेराव कर दिया ।
मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय विरोध होने पर छात्रों के सामने नहीं आए और यह ठीक ही हुआ नहीं तो छात्रों का क्रोध उनकी हानि का भी परिणाम हो सकता था। मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री लीलाधर जोशी को छात्रों के बीच भेजा गया उन्होंने छात्रों की बात सुनी और समझा-बुझाकर शांत किया इसके साथ ही न्यायिक जांच की मांग को स्वीकार कर लिया गया।
सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इंदौर पहुंच कर मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय को सलाह दी कि वे त्यागपत्र दे दें लेकिन जब उन्होंने कहा कि दल में मेरा बहुमत अभी भी है और वे विश्वास प्रस्ताव पास करवाएं लेकिन विश्वास प्रस्ताव बहुमत से गिर गया और विजय वर्गीय को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा।
मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद ग्वालियर की जनता और छात्रों ने हर्ष व्यक्त किया लेकिन वे हरि सिंह दर्शन सिंह की शहादत को भूले नहीं।
दोनों शहीदों की याद में सरकारी स्कूल का नाम हरिदर्शन रखा गया।इस स्कूल की इस स्कूल की इमारत भी बहुत पुरानी है, और स्वयं आज़ादी की लड़ाई में ग्वालियर के योगदान की कहानी को बयां कर रही है।